Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के एक स्पेशल कोर्ट ने बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर के खिलाफ बलात्कार के मामले की जांच करने वाले तीन पुलिसवालों के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश दिए हैं। ये तीनों पुलिवाले सेंगर के खिलाफ 2017 के इस मामले में नाबालिग पीड़ित के आरोप दर्ज करने में नाकाम रहे थे। हाल में कोर्ट ने उन्नाव में सफीपुर के तत्कालीन क्षेत्र अधिकारी कुंवर बहादुर सिंह की CBI द्वारा दायर मामले से आरोपमुक्त करने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा कि पीड़ित की शिकायत को दर्ज नहीं करने के लिए IPC की धारा 166ए के तहत मामला दर्ज किया गया था।
ऐसे बन गया एक वड़ा राजनीतिक मुद्दा
मुख्यमंत्री मुख्यालय तक को भेजी शिकायत पर कार्रवाई नहीं होने के बाद पीड़ित ने लखनऊ में आठ अप्रैल, 2018 को मुख्यमंत्री आवास के सामने खुद को आग लगाने की कोशिश की, जो बाद में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया था। उन्होंने बताया कि सिंह के अलावा अदालत ने माखी के पूर्व थाना प्रभारी डी.पी.शुक्ला और उप-निरीक्षक दिग्विजय सिंह के खिलाफ भी आरोप तय करने के आदेश दिए। इनके नाम भी चार्जशीट में शामिल हैं।
पीड़ित की शिकायत पर नहीं हुई कोई कार्रवाई
आरोप है कि पीड़ित ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 17 अगस्त, 2017 को भेजी गई अपनी अर्जी में आरोप लगाया था कि सेंगर ने उसी साल चार जून को उसका रेप किया और बाद में 11 जून को अन्य तीन लोगों ने उससे सामूहिक दुष्कर्म किया, लेकिन पुलिस ने उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। उसकी शिकायत मुख्यमंत्री के शिकायत पोर्टल पर रजिस्टर की गई और जांच के लिए कुंवर बहादुर सिंह को भेजी गई।
सीबीआई कोर्ट ने सेंगर को सुनाई उम्रकैद की सजा
सीबीआई जांच से पता चला है कि पीड़िता सिंह के सामने पेश हुई थी और उसने शिकायत करने की बात स्वीकार की थी। सिंह ने शिकायत डी.पी.शुक्ला को भेजी थी, जिन्होंने इसे जांच के लिए दिग्विजय सिंह को सौंप दिया था। मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने इन तीनों के खिलाफ क्राइम के लिए आरोप तय करने के मामले में आगे बढ़ने का निर्देश दिया।
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