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Azam Khan: आजम खान की विधायकी जाने से समाजवादी पार्टी को बड़ा नुकसान, UP के निकाय चुनावों में दिख सकता है असर

Azam Khan: आजम खान के ऊपर लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान भड़काऊ भाषण देने का आरोप था। इसी मामले में रामपुर की MP/MLA कोर्ट ने उन्हें 3 साल की सजा सुनाई है। हालांकि इस मामले में उन्हें जमानत मिल गई लेकिन उनकी विधायकी चली गई और अगले 6 सालों तक चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य हो गए।

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के साथ सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव - India TV Hindi Image Source : FILE समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के साथ सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव

Highlights

  • सपा के मुस्लिम चेहरे के रूप में जाने जाते हैं आजम खान
  • आजम खान का अनुभव पार्टी के लिए बेहद जरूरी
  • विधानसभा चुनावों में आजम खान के इलाके में सपा गठबंधन ने जीती थीं कई सीटें

Azam Khan: विधानसभा चुनावों के बाद से समाजवादी पार्टी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पार्टी को एक के बाद एक झटके मिलते जा रहे हैं। पहले उनके गठबंधन के सहयोगी ओमप्रकाश राजभर साथ छोड़कर चले गए थे। वहीं अब आजम खान की विधायकी जाने के बाद पार्टी को और भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।   

सपा के फायर ब्रांड नेता आजम खां की विधायकी जाने के बाद सपा के सामने कई मुश्किलें खड़ी हो सकती है। पश्चिमी यूपी की मुस्लिम सीटों पर उनका प्रभाव तगड़ा रहता था। उस इलाके में यह पार्टी के बड़े चेहरे के रूप में शुमार रहते हैं। हाल में होने वाले निकाय चुनाव की तैयारियों में लगी सपा के लिए यह करारा झटका माना जा रहा है। 

Image Source : ptiआजम खान

सपा के मुस्लिम चेहरे के रूप में जाने जाते हैं आजम खान 

यूपी के राजनीतिक पंडितों की मानें तो सपा के संस्थापक सदस्यों में रहे आजम खान पार्टी के बड़े मुस्लिम चेहरे के रूप में जाने जाते थे। जब तक पार्टी की कमान मुलायम सिंह यादव के हाथों में थी तब तक पार्टी के सभी फैसलों में उनकी राय ली जाती थी। हालांकि सपा में अखिलेश यादव के युग में उन्हें थोडा साइडलाइन किया गया। जिसके बाद योगी सरकार में उनपर तमाम मुकदमे हुए और कई महीनों तक जेल में भी रहना पड़ा। इस दौरान अखिलेश यादव और उनके रिश्तों को लेकर तमाम सवाल भी उठाए गए। हालांकि जेल से बाहर आने के बाद दोनों के रिश्तों पर जमी बर्फ कुछ हद तक पिघली।

Image Source : ptiएक चुनावी जनसभा में आजम खान

विधानसभा चुनावों में आजम खान के इलाके में सपा गठबंधन ने जीती थीं कई सीटें 

सपा के एक नेता का कहना है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में भले ही सपा को सत्ता न मिली हो, लेकिन रामपुर व आसपास के जिलों में सपा ने कई सीटें जीतीं। माना जाता है कि आजम खां की सियासत ने इस क्षेत्र में सपा को खास तौर पर बढ़त दिलाई। रामपुर जिले की ही पांच में से तीन सीटों पर सपा को विजय मिली थी। आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम दोनों ही चुनाव जीते। उधर, निकट के मुरादाबाद जिले में भी सपा ने पांच सीटें जीती। भाजपा को महज एक सीट ही मिल सकी। संभल में भी चार में से तीन सीटों पर सपा ने कब्जा जमाया। पश्चिमी उप्र में सपा-रालोद गठबंधन को 40 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल हुई थी।

आजम खान का अनुभव पार्टी के लिए बेहद जरूरी 

ऐसा माना जाता है कि आजम खान का लम्बा राजनीतिक अनुभव समाजवादी पार्टी की आगामी राजनीति के लिए बहुत मायने रखता है। वह मुलायम के कतार के नेता हैं। वह दस बार विधायक रहे हैं। उन्हें संसद के दोनों सदनों का ज्ञान है, जो पार्टी के लिए काफी महत्व रखता है। वह प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल सपा के मजबूत स्तंभ रहे हैं। अपनी तकरीरों, दलीलों के माध्यम सत्ता पक्ष निरुत्तर करने का माद्दा रखते हैं। 

Image Source : fileमुलायम सिंह यादव के साथ आजम खान

अब विधायकी जाने से बढ़ी सपा की मुश्किलें 

अब आजम खान की विधायकी चले जाने से सपा के लिए बड़ी चुनौती है। सदन में उनकी गैरमौजूदगी तो सपा को कमजोर करेगी। आजम खां पर लगे प्रतिबंध का सपा भावनात्मक लाभ उठाने की कोशिश कर सकती है। जिस तरह बसपा फिर से मुस्लिम वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रही है, यह सपा के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है। निकाय चुनाव में इसका असर साफ देखने को मिलेगा।

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