100 Days of Yogi Government 2.0: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार के दूसरे कार्यकाल के सोमवार को 100 दिन पूरे हो गए। इस मौके पर सीएम योगी ने आज शुरुआती 100 दिनों में किए गए कार्यों का 'रिपोर्ट कार्ड' पेश किया। इस पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने हमला बोला है।
'सरकार का हाल 100 दिन चले अढ़ाई कोस जैसा'
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि अब तक की स्थिति 100 दिन चले अढ़ाई कोस जैसी रही है। उन्होंने ट्वीट किया, "यूपी की बीजेपी सरकार झूठी उपलब्धियों के खर्रे भले ही बांट ले, लेकिन सरकार का असल हाल 100 दिन चले अढ़ाई कोस जैसा है।"
'10,000 भर्तियों का वादा, केवल 940 भर्तियां हुईं'
कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने यह दावा भी किया, "घूसखोरी के चलते किसान आत्महत्या कर रहे हैं। 10,000 भर्तियों का वादा, केवल 940 भर्तियां हुईं। बिजली कटौती से लोग परेशान। महिलाओं व किसानों से किए वादे भी पूरे नहीं हुए।"
'बीजेपी की फरेबी राजनीति का हिस्सा हैं'
वहीं, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ''उत्तर प्रदेश में बजीपी सरकार के 100 दिनों में सत्ता के दुरुपयोग से लोकतंत्र और कमजोर हुआ है। बीजेपी सरकार के 100 दिनों की मुख्यमंत्री ने जो उपलब्धियां गिनाई हैं, वे सब 'झूठ का पुलिंदा' और बीजेपी की फरेबी राजनीति का हिस्सा हैं। जनता इनकी सच्चाई को समझ चुकी है। बीजेपी का झूठ का व्यापार अब नहीं चल सकेगा।"
'जमीन पर एक भी योजना नजर नहीं आ रही'
अखिलेश ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार 100 दिनों में विकास के सपने तो खूब दिखाती आई है, मगर जमीन पर उसकी एक भी योजना नजर नहीं आ रही है। उन्होंने कहा, "बीजेपी ने अपने किए गए एक भी वादे को पूरा नहीं किया है। इन 100 दिनों में प्रदेश की जनता पर जिस तरह का अत्याचार हुआ है, इतिहास में उसकी दूसरी मिसाल नहीं है।"
योगी के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन हुए पूरे
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को अपने दूसरे कार्यकाल के शुरुआती 100 दिनों में किए गए कार्यों का 'रिपोर्ट कार्ड' पेश किया। मुख्यमंत्री ने अपने दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर संवाददाता सम्मेलन में अपनी इस शुरुआती कार्य अवधि का ब्योरा पेश करते हुए कहा कि ये शुरुआती 100 दिन सेवा, सुरक्षा और सुशासन के प्रति समर्पित रहे। उन्होंने कहा कि सरकार ने 'जो कहा सो किया' के इस परंपरागत अभियान को आगे बढ़ाते हुए निर्धारित लक्ष्य से ज्यादा काम किया है।
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