इलाहाबाद: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के लिए डॉक्टरों की भर्ती उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से न करके वॉक इन इंटरव्यू के जरिये करने का प्रस्ताव बनाया है।
यहां एक कार्यक्रम में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, मैं कुछ ऐसे प्रस्ताव लेकर आ रहा हूं जिसमें डॉक्टरों की भर्ती उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से न करूं, बल्कि वॉक इन इंटरव्यू करके एमबीबीएस को लेकर सीधे पीएचसी और सीएचसी में भर्ती कर दूं।
उन्होंने कहा, कल हमारी कैबिनेट की बैठक है उसमें या फिर अगले सप्ताह कैबिनेट की बैठक में यह (प्रस्ताव) आ जाएगा। सिंह ने कहा, उत्तर प्रदेश में 7,000-7,500 डॉक्टरों और 18,000 पैरामेडिकल्स की कमी है, यहां भी एम्स बनना चाहिए, सुपर स्पेशियलिटी बनना चाहिए। लेकिन मेरे पास जो ढांचा है, पहले उसे तो ठीक कर दूं।
उन्होंने कहा कि जो डॉक्टर पीएचसी और सीएचसी में दो साल काम करेंगे और पीजी करने के लिए जाएंगे, उन्हें सुविधा देने की योजना है। शाम को ओपीडी चलाने का प्रयास कर रहा हूं जिसके लिए उन्हें (डॉक्टरों) स्वयं सेवा करने को नहीं कर रहा, बल्कि इसके लिए मानदेय रखने को भी तैयार हूं। लेकिन ये चीजें एक मंत्री या सरकारी व्यवस्था के माध्यम से नहीं चलेगा, इसे मिशन के तौर पर लेना होगा। इसमें समाज और डॉक्टर को योगदान करना होगा, यह एक बड़ी आहूति है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में निजी डॉक्टरों की सेवाएं लेने के संदर्भ में सिंह ने कहा, मैं आपका (निजी डॉक्टर) रोस्टर आपके हिसाब से बनाने को तैयार हूं, आइये, अपना थोड़ा समय इन स्वास्थ्य केन्द्रों को दीजिए, मैं एक साल के भीतर उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं ठीक कर दूंगा।
मंत्री ने कहा, मैं आयुष केन्द्रों पर भी ध्यान दे रहा हूं। हम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में बीएएमएस डाक्टरों की संख्या बढ़ा देंगे तो आधे से ज्यादा समस्या का हल हमें उन्हीं केन्द्रों पर मिलना शुरू हो जाएगा और लोगों को सुपर स्पेशियलिटी की जरूरत कम या नहीं पड़ेगी।
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