यूपी की नई जनसंख्या नीति! लॉ कमिशन ने अपलोड किया ड्राफ्ट, लोगों से मांगे गए सुझाव
यूपी के लॉ कमीशन के चेयरमैन आदित्यनाथ मित्तल ने बताया कि राज्य विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण और कल्याण के लिए एक प्रस्ताव दिया है।
लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार जल्द ही नई जनसंख्या नीति बना सकती है। यूपी स्टेट लॉ कमीशन ने जनसंख्या नीति का ड्राफ्ट वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। अब इस ड्राफ्ट पर लोगों से 19 जुलाई तक सुझाव मांगे गए हैं। 19 जुलाई के बाद इस ड्राफ्ट को सरकार के पास भेज दिया जाएगा। यूपी के लॉ कमीशन के चेयरमैन आदित्यनाथ मित्तल ने बताया कि राज्य विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण और कल्याण के लिए एक प्रस्ताव दिया है। हमने प्रस्ताव दिया है कि कोई भी कपल जो two-child policy का पालन करता है, उसे सभी सरकारी लाभ दिए जाएंगे। वे सभी सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।
उन्होंने आगे बताया कि यदि कोई व्यक्ति two-child policy का पालन नहीं करता है, तो वे ऐसी योजनाओं के लिए पात्र नहीं होंगे। उनका राशन कार्ड 4 इकाइयों तक सीमित रहेगा, वे सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे और यदि वे पहले से ही सरकारी कर्मचारी हैं, तो उन्हें पदोन्नति नहीं मिलेगी। आदित्यनाथ मित्तल ने बताया कि यह प्रणाली स्वैच्छिक होगी, यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से अपने परिवार के सदस्यों की संख्या सीमित रखता है, तो वे सरकारी योजनाओं के लिए पात्र होंगे। हम इसे अगस्त के दूसरे सप्ताह तक पेश करने की योजना बना रहे हैं।
यूपी की नई जनसंख्या नीति के ड्राफ्ट के मुताबिक अगर 2 ही बच्चे हैं तो आपको सरकारी नौकरी में 2 एक्स्ट्रा इंक्रीमेंट का फायदा मिलेगा लेकिन 2 से ज्यादा बच्चे हुए तो सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं मिलेगा। अगर 2 ही बच्चे हुए तो सरकारी जमीन-मकान में सब्सिडी मिलेगी लेकिन अगर 2 से ज्यादा बच्चे हुए तो स्थानीय चुनाव लड़ने पर रोक लग जाएगी। इतना ही नहीं, ड्राफ्ट के अनुसार, 2 ही बच्चे हुए तो मकान के लिए लोन, बिजली-पानी बिल में छूट मिलेगी।12 महीने तक मैटरनिटी-पैटरनिटी लीव मिलेगी लेकिन 2 से ज्यादा बच्चे हुए तो सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य हो जाएंगे। 2 ही बच्चे हुए तो NPS में 3 % बढ़ोतरी होगी, पति/पत्नी के लिए फ्री हेल्थकेयर, इंश्योरेंस का फायदा मिलेगा लेकिन अगर 2 से ज्यादा बच्चे हुए तो सरकारी सब्सिडी पर रोक लग जाएगी।
विपक्ष ने उठाए बड़े सवाल?
पिछले हफ्ते, समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक इकबाल महमूद ने उत्तर प्रदेश के विधि आयोग द्वारा जनसंख्या नियंत्रण संबंधी मसौदा तैयार किए जाने को लेकर विवादित बयान देते हुए रविवार को आरोप लगाया कि यह कानून की आड़ में मुसलमानों पर वार करने की साजिश है और मुस्लिमों नहीं, बल्कि दलितों और आदिवासियों की वजह से आबादी बढ़ रही है।
महमूद ने कहा कि प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिये एक कानून लाने पर विचार कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया, ''दरअसल यह जनसंख्या की आड़ में मुसलमानों पर वार है। भाजपा के लोग अगर समझते हैं कि देश में सिर्फ मुसलमानों की तादाद बढ़ रही है तो यह कानून संसद के अंदर आना चाहिए था ताकि यह पूरे देश में लागू होता। यह उत्तर प्रदेश में ही क्यों लाया जा रहा है?''
सम्भल सीट से सपा विधायक ने कहा ''सबसे ज्यादा आबादी दलितों और आदिवासियों के यहां बढ़ रही है, मुसलमानों के यहां नहीं। मुसलमान तो अब समझ गये हैं कि दो-तीन बच्चों से ज्यादा नहीं होने चाहिए।'' उन्होंने कहा कि इस कानून का नतीजा भी राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) जैसा ही होगा। इसी तरह, असम में एनआरसी का असर मुसलमानों पर कम और गैर मुस्लिमों पर ज्यादा पड़ा। विधायक ने कहा कि जनसंख्या कानून का भी यही हश्र होगा। यह समझ में नहीं आता कि योगी सरकार का महज सात महीने का कार्यकाल बचा है, ऐसे में जनसंख्या कानून पर बात क्यों की जा रही है?