कोटा से विद्यार्थियों को उनके घर पहुंचाने के लिए UP ने राजस्थान के 36.36 लाख के बिल का किया भुगतान
नई दिल्ली: बस किराये को लेकर जारी बवाल के बीच उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राजस्थान सरकार की ओर से भेजे गए 36 लाख 36 हजार के बिल को दे दिया है। यूपी के प्रवासी मजदूरों को ले जाने के लिए 1,000 बसों के इंतजाम को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच गतिरोध के बीच राजस्थान सरकार ने कोटा में फंसे छात्रों को भेजने के लिए 36.36 लाख रूपये का बिल बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश सरकार को भेजा था।
हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने 36 लाख रूपये का बिल मांगे जाने की निन्दा करते हुए कहा कि यह राजस्थान सरकार का अमानवीय चेहरा दर्शाता है। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक राज शेखर ने बताया कि अप्रैल के मध्य में उत्तर प्रदेश सरकार ने लॉकडाउन के कारण कोटा में फंसे उत्तर प्रदेश के छात्रों को उनके घरों तक पहुंचाने का फैसला किया।
राज शेखर ने बताया कि यूपी रोडवेज की बसें उन्हें लाने के लिए लगायी गयीं लेकिन हमें अतिरिक्त बसों की आवश्यकता थी। कोटा में उपलब्ध राजस्थान रोडवेज की बसों को छात्रों को आगरा और मथुरा छोड़ने के लिए लिया गया था। राजस्थान रोडवेज ने इसका बिल दिया, जिसका भुगतान उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने कर दिया है।
इससे पहले भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया है कि लॉकडाउन के दौरान राजस्थान के कोटा में फंसे उत्तर प्रदेश के बच्चों को घर भेजने के लिए राजस्थान सरकार ने 19 लाख रुपए लिए थे और अब 36 लाख रुपए का अतीरिक्त बिल भेजा है। भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने यह आरोप लगाय है।
अप्रैल में उत्तर प्रदेश के हजारों छात्र-छात्राओं को कोटा से बसों के जरिए उनके घर पहुंचाया गया था। ये विद्यार्थी राजस्थान के कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे।
इससे पहले उत्तर प्रदेश में श्रमिकों के लिए बसें भेजने के मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा के बीच जमकर राजनीति हुई है। पहले कांग्रेस ने कहा कि वह 1000 बसें भेजना चाहती है, फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस की तरफ से कोई लिस्ट नहीं आई है, इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 1000 बसों के नंबरों की लिस्ट भेजी।
इस लिस्ट में कई ऐसे नंबर निकल गए जो बाइक, कार, थ्री व्हीलर और एंबुलेंस के थे। कांग्रेस पार्टी ने इसके बाद बसें भेजी लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें राज्य में घुसने ही नहीं दिया।