लखनऊ: एक शिक्षिका ने उत्तर प्रदेश के 25 स्कूलों में महीनों से काम कर रही थीं और एक डिजिटल डेटाबेस होने के बावजूद एक करोड़ रुपये का वेतन निकालने में सफल रहीं। बताया जा रहा है कि वह कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) में कार्यरत पूर्णकालिक विज्ञान शिक्षिका थीं और अंबेडकर नगर, बागपत, अलीगढ़, सहारनपुर और प्रयागराज जैसे जिलों के कई स्कूलों में एक साथ काम कर रही थीं। अब इस मामले पर योगी सरकार की प्रतिक्रिया सामने आई है। योगी सरकार का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है और अभी इस बारे में कुछ स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है।
स्कूली शिक्षा के महानिदेशक विजय किरण आनंद ने कहा, ''इस तरह की खबरें मीडिया में आने के बाद बेसिक शिक्षा के अपर निदेशक को मामले की जांच के आदेश दिये गये है। अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं है, जिस महिला अध्यापक का नाम सामने आया है और उनका कुछ अता-पता नहीं है। खबरों में ऐसा कहा जा रहा है कि महिला अध्यापक ने एक करोड़ रूपये का वेतन लिया है। यह सब सत्य नहीं है, और अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो पायी है।''
उन्होंने कहा, ''मामले की जांच की जा रही है और अगर आरोप सही पाये जाते है तो प्राथमिकी कराई जाएगी। वेतन का भुगतान बैंक खाते में भी नहीं हुआ है। मंडलीय अधिकारी जांच कर रहे हैं। अगर कोई अध्यापक गलत तरीके से एक से अधिक स्कूलों में पढ़ा रहा है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।''
बताया जा रहा है कि मामला तब सामने आया जब शिक्षकों का एक डेटाबेस बनाया जा रहा था। मानव सेवा पोर्टल पर शिक्षकों के डिजिटल डेटाबेस में शिक्षकों के व्यक्तिगत रिकॉर्ड, जुड़ने और पदोन्नति की तारीख की आवश्यकता होती है। एक बार रिकॉर्ड अपलोड होने के बाद, यह पाया गया कि यह शिक्षिका एक ही व्यक्तिगत विवरण के साथ 25 स्कूलों में सूचीबद्ध थीं।
सभी स्कूलों में रिकॉर्ड के अनुसार, वो एक साल से अधिक समय तक इन स्कूलों के रोल पर थीं। केजीबीवी कमजोर वर्गों की लड़कियों के लिए चलाया जाने वाला एक आवासीय विद्यालय है, जहां शिक्षकों को अनुबंध पर नियुक्त किया जाता है। उन्हें प्रति माह लगभग 30,000 रुपये का भुगतान किया जाता है। जिले के प्रत्येक ब्लॉक में एक कस्तूरबा गांधी स्कूल है।
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