नई दिल्ली: जिस काम को करने से बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव डरते थे अब वो काम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करने जा रहे हैं। योगी आदित्यनाथ कथित तौर पर एक खतरनाक अंधविश्वास को दरकिनार कर 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगवानी करने नोएडा जाएंगे जहां पीएम नोएडा-कालकाजी मेट्रो लाइन का उद्घाटन करेंगे। अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने नोएडा न जाने की सलाह ठुकराते हुए कार्यक्रम में जाना तय कर लिया है। योगी को नोएडा न जाने की सलाह इसलिए दी गई है, क्योंकि कई पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री नोएडा जाकर अपनी कुर्सी गंवा चुके हैं।
योगी से पहले मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव पांच साल के अपने कार्यकाल में कभी नोएडा नहीं गए, बल्कि परियोजनाओं और सड़कों का उद्घाटन लखनऊ स्थित आधिकारिक आवास 5, कालिदास मार्ग से ही रिमोट के जरिए किया करते थे।
बता दें कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और बसपा अध्यक्ष मायावती समेत कई पूर्व मुख्यमंत्रियों के नोएडा दौरे के कुछ ही समय बाद सत्ता गंवा देने के अजीबोगरीब इत्तेफाक की वजह से अब मुख्यमंत्री नोएडा जाने से परहेज करते हैं। अखिलेश भी उसी राह पर चले थे और नरेन्द्र मोदी की 31 दिसम्बर को गौतमबुद्धनगर दौरे पर उनके साथ नहीं आए थे।
वर्ष 1988 में हुई थी नोएडा फोबिया की शुरुआत
नोएडा फोबिया की शुरुआत वर्ष 1988 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के नोएडा यात्रा के कुछ दिनों बाद सत्ता गंवाने से हुई। यह अजीब इत्तेफाक है कि वर्ष 1989 में नारायण दत्त तिवारी, साल 1995 में मुलायम सिंह यादव, वर्ष 1997 में मायावती और साल 1999 में कल्याण सिंह को भी नोएडा की यात्रा करने के कुछ समय बाद सत्ता से हटना पड़ा था।
राज्य की चौथी बार मुख्यमंत्री बनीं मायावती अक्टूबर 2011 में दलित प्रेरणा स्थल का उद्घाटन करने के लिये नोएडा गयी थीं और संयोग से वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को पराजय का सामना करना पड़ा।
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