नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में गैरकानूनी रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को योगी आदित्यनाथ की सरकार दो महीने में बाहर निकालेगी। एक महीने पहले योगी आदित्यनाथ ने इसका एलान किया था। अब इस पर ग्राउंड वर्क शुरू हो गया है। अवैध माइग्रेंट्स की पहचान हो रही हैं। झुग्गी बस्तियों में जाकर सबके डॉक्यूमेंट्स चेक किए जाएंगे, उनकी लिस्ट तैयार की जाएगी। मेरठ में यह मुहिम शुरू भी हो गई है। अब तक जो तथ्य सामने आए हैं वो चौंकाने वाले हैं। ज्यादातर बांग्लादेशी या रोहिंग्या मुसलमान ने अपने पहचान पत्र हासिल कर लिए हैं और अवैध तरीके से आधार कार्ड भी बनवा लिए हैं। ऐसे सभी लोगों की पहचान की जा रही है। यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर ने बताया कि कई बार यह लोग अवैध एक्टिविटीज़ में शामिल पाए गए हैं। नेशनल सिक्योरिटी के लिए भी खतरा बन रहे हैं इसलिए ऐसे लोगों की लिस्ट तैयार की जा रही है।
यह सही है कि दिल्ली और इसके आसपास नोएडा, गाजियाबाद, गुडगांव और मेरठ से लेकर लखनऊ तक अवैध रूप से भारत में घुसे बांग्लादेशियों की कॉलोनियां बन गई हैं इनमें से ज्यादातर लोग मजदूरी, डोमिस्टिक हेल्प या छोटे मोटे काम करते हैं। मेरठ के जिन इलाकों में इन लोगों की पहचान की मुहिम चल रही है वहां इंडिया टीवी संवाददाता उन कॉलोनियों में गए। मेरठ और आसपास कई इलाकों में झुग्गियां बनी हुई हैं। कुछ जगहों पर तो इनकी तादाद हजारों में है। ज्यादातर लोग कचरा कलेक्ट करने का काम करते हैं। ये लोग तो यहां तक दावा करते हैं कि वो यहां तीस साल से रह रहे हैं। सबके सब खुद को भारतीय बताते हैं। इन लोगों ने आधार कार्ड और वोटर कार्ड भी बनवा लिए हैं। लेकिन इऩकी भाषा बोलने का स्टाइल अलग है इसलिए ज्यादातर लोग खुद को असम का निवासी बताते हैं। यहां रहनेवाली आसिमा ने इंडिया टीवी संवाददाता को बताया कि उसके पास आधार कार्ड है जो ढाई सौ रुपए देकर बनवाया है लेकिन इस महिला को यह भी नहीं पता था कि वो मेरठ में रह रही है, जब हिमा ने उससे पूछा कि वो किस शहर में रह रही है तो उसने कहा कि ये गाजीपुर है, ऐड्रेस पूछने पर बस इतना कहा कि आधार कार्ड में सब लिखा है।
Latest Uttar Pradesh News