शाहजहांपुर, (उप्र): भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा कि किसान आंदोलन फसलों और नस्लों को बचाने का आंदोलन है तथा किसानों पर थोपे गए काले कृषि कानूनों को केंद्र सरकार जब तक वापस नहीं ले लेती है, वह किसानों के सहयोग से दिल्ली की सीमा पर डटे रहेंगे। टिकैत ने यहां किसानों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आंदोलनों में धर्म स्थानों का विशेष योगदान है और गुरु गोविंद सिंह ने भ्रमण के दौरान खाप पंचायतों से संपर्क किया था तथा इसके बाद पीड़ित लोगों से धैर्य रखने को कहा था। उन्होंने बताया कि इसके बाद सिंह ने बंदा सिंह बहादुर को सर नारी गांव भेजा, जहां के लोगों ने फौज बनाकर सरहद का किला फतह किया था।
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता टिकैत, संत सुखदेव सिंह की 38 वीं बरसी पर यहां आये थे और उनकी (संत सुखदेव सिंह की) समाधि स्थल पर जाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किये। उन्होंने कहा, ''आज भी कारपोरेट घरानों और केंद्र सरकार की सांठगांठ से किसानों व मजदूरों के हकों पर डाका डाला जा रहा है, ऐसे में फिर से समय आ गया है कि साधु संतों के सानिध्य में खाप पंचायतों से निकले किसान योद्धा सरकार की जड़ें हिला कर रख दें। वहीं, जब तक काला कानून वापस नहीं ले लिया जाता है, किसान दिल्ली की सीमाओं पर ही डटे रहेंगे।''
सभा को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन (चढूनी गुट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को ‘‘धर्म युद्ध’’ करार दिया। उन्होंने कहा कि यह धर्मयुद्ध किसानों के हकों के लिए लड़ा जा रहा है, जबकि सरकार की मंशा भारत के किसान-मजदूरों को गुलाम बनाने की है, जो किसी भी दशा में पूरी नहीं होने दी जाएगी। सभा में करीब आधा दर्जन किसान यूनियन के नेताओं ने किसानों से आह्वान कि उनके बुलाने पर वे दिल्ली कूच करें और इस पर किसानों ने हाथ उठाकर सहमति भी प्रदान की।
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