...ताकि मुझे भी पता चले कि बुरे वक्त में कौन मेरे साथ रहा: अखिलेश यादव
अपनी पार्टी के 3 विधान परिषद सदस्यों के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होने पर तंज कसते हुए अखिलेश ने कहा कि...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को रक्षाबंधन पर प्रदेशवासियों को बधाई दी। इसी दौरान उन्होंने अपनी पार्टी के 3 विधान परिषद सदस्यों के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होने पर तंज कसते हुए कहा कि जिन साथियों को जाना हो, वह बिना कोई बहाना बनाए जा सकते हैं, ताकि मुझे भी पता लगे कि बुरे वक्त में कितने लोग मेरे साथ हैं। अखिलेश ने यह बात हाल में सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए विधान परिषद सदस्य बुक्कल नवाब और डॉक्टर सरोजिनी अग्रवाल का संदर्भ देते हुए कही।
अखिलेश ने कहा, ‘जो पार्टी छोड़ कर जा रहे हैं, उन पर कोई दबाव होगा। लोग बहाना कर रहे हैं कि सपा में उनका दम घुट रहा था। पार्टी का वातावरण खराब हो गया है। मैं कहता हूं कि ये सब बातें पार्टी से जाने के बहाने ना हों तभी अच्छा है। ऐसे लोग पार्टी छोड़ने का कोई मजबूत बहाना ढूढ़ें। बीजेपी से दूर रहने वाला हर कोई भू-माफिया है। लेकिन जब बीजेपी सत्ता में आ जाए तो सब पाक-साफ हो जाते हैं। बुरे वक्त में मेरे साथ कौन है, उसका भी यह इम्तिहान है। मेरा साथ छोड़ने वाले किसी के नहीं होंगे। 2022 में समाजवादी पार्टी की ही सरकार बनेगी।’
अखिलेश ने बुक्कल नवाब का जिक्र करते हुए कहा, 'अभी एक महीने पहले ही मैंने ईद पर उनके यहां बहुत मीठी सेवई खाई थी। उस वक्त नवाब ने बताया नहीं कि वह पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। पता लगा है कि कुछ जमीनों का मामला था, इसलिए कागज को लेकर उन पर कुछ दबाव बनाया गया है।' गौरतलब है कि अभी तक समाजवादी पार्टी से MLC बुक्कल नवाब, यशवंत सिंह, डॉ. सरोजनी अग्रवाल और बीएसपी से ठाकुर जयवीर सिंह इस्तीफा देकर भगवा रंग में रंग चुके हैं।
इन MLCs के पार्टी छोड़ने के पीछे सबसे बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि सूबे की सत्ता में काबिज बीजेपी को अपने मंत्रिमंडल के कई चेहरों को विधान परिषद में भेजना है। इस कड़ी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दो डिप्टी सीएम दिनेश चंद्र शर्मा, केशव प्रसाद मौर्य के अलावा मोहसिन रजा और स्वतंत्र देव सिंह के नाम शामिल हैं। मंत्रिमंडल का सदस्य होने के नाते इनको विधानसभा या विधानपरिषद, किसी एक सदन का सदस्य होना जरूरी है, जोकि अभी ये नहीं हैं। इन MLCs के इस्तीफे के बाद इन नेताओं के चुनाव का रास्ता साफ हो जाता है।