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Hindi News भारत उत्तर प्रदेश कौन थे श्रीपति मिश्र? पूर्व कांग्रेसी सीएम के 'अपमान' का पीएम मोदी ने किया जिक्र

कौन थे श्रीपति मिश्र? पूर्व कांग्रेसी सीएम के 'अपमान' का पीएम मोदी ने किया जिक्र

सुल्तानपुर जिले में जन्‍मे श्रीपति मिश्र कांग्रेस के नेता थे और वह जुलाई 1982 से अगस्त 1984 तक उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री रहे।

Sripati Mishra, Who is Sripati Mishra, Story of Sripati Mishra, Sripati Mishra Narendra Modi- India TV Hindi Image Source : FILE प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री श्रीपति मिश्र को स्मरण करते हुए बिना नाम लिए कांग्रेस पर निशाना साधा।

Highlights

  • सुल्तानपुर जिले में जन्‍मे श्रीपति मिश्र कांग्रेस के नेता थे और 80 के दशक में यूपी के मुख्यमंत्री रहे थे।
  • श्रीपति मिश्र राजनीति में आने से पहले फर्रूखाबाद की जिला अदालत में जूनियर जज हुआ करते थे।
  • श्रीपति मिश्र धीरे-धीरे राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते हुए एक ग्राम प्रधान से यूपी के सीएम की कुर्सी तक पहुंचे थे।

सुल्तानपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री श्रीपति मिश्र को स्मरण करते हुए बिना नाम लिए कांग्रेस पर आरोप लगाया कि ‘परिवार’ के दरबारियों ने श्रीपति मिश्र को अपमानित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को सुल्तानपुर में 22,500 करोड़ रुपये के पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के बाद एक रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस के दिवंगत नेता का जिक्र किया। ऐसे में सवाल उठता है कि श्रीपति मिश्र कौन थे और उनको किसने ‘अपमानित’ किया। आइए, जानते हैं यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र के बारे में:

वीपी सिंह के बाद यूपी के सीएम बने थे मिश्र
सुल्तानपुर जिले में जन्‍मे श्रीपति मिश्र कांग्रेस के नेता थे और वह जुलाई 1982 से अगस्त 1984 तक उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री रहे। मिश्र का जन्म सुल्तानपुर के शेषपुर नाम के गांव में एक सामान्य परिवार में हुआ था। उन्हें विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा इस्तीफा देने के बाद 1982 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था। वह 19 जुलाई 1982 से लेकर 3 अगस्त 1984 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे। हालांकि कहा जाता है कि इस दौरान राजीव गांधी और अरुण नेहरू से उनके संबंध खराब हो गए और उन्हें अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी।

जज की नौकरी छोड़कर जीती थी ग्राम प्रधानी
श्रीपति मिश्र राजनीति में आने से पहले फर्रूखाबाद की जिला अदालत में जूनियर जज हुआ करते थे। वह बीएचयू में पढ़ाई के दौरान छात्रसंघ के सचिव भी रह चुके थे। 1958 में उन्होंने जज की नौकरी छोड़ दी। कुछ ही दिन बाद उन्होंने ग्राम प्रधानी के लिए पर्चा भरा और उन्हें इस पद के लिए चुन भी लिया गया। इसके साथ ही वह सुल्तानपुर में वकालत भी करते थे। बाद में 1962 में उन्होंने विधायकी भी जीती। धीरे-धीरे राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते हुए वह एक ग्राम प्रधान से यूपी के सीएम की कुर्सी तक पहुंचे।

सुल्तानपुर में पीएम मोदी ने मिश्र को किया याद
प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को सुल्तानपुर एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘यह दुर्भाग्य रहा कि दिल्ली और लखनऊ में 'परिवारवादियों' का ही सालों साल तक दबदबा रहा और सालों साल तक उत्तर प्रदेश की आकांक्षाओं को कुचलते रहे, बर्बाद करते रहे। सुल्तानपुर के सपूत श्रीपति मिश्रा जी के साथ भी तो यही हुआ था, जिनका जमीनी अनुभव और कर्मशीलता ही पूंजी थी, परिवार के दरबारियों ने उनको अपमानित किया। ऐसे कर्मयोगियों का अपमान उत्तर प्रदेश के लोग कभी नहीं भुला सकते।’

‘मिश्र को जबरन कुर्सी से बेदखल किया गया’
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि कांग्रेस की राजनीति एक परिवार पर ही केंद्रित रही और वह किसी भी लोकप्रिय और जनता के लिए समर्पित नेता को बर्दाश्त नहीं करते थे। उन्होंने कहा, ‘श्रीपति मिश्र को जबरन कुर्सी से बेदखल किया गया, क्योंकि कांग्रेस का दिल्‍ली परिवार कभी भी लोकप्रिय नेताओं को कुर्सी पर टिकने नहीं देता था। श्रीपति मिश्रा हों या हेमवती नंदन बहुगुणा, सबके साथ यही हुआ।’

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