VHP की धर्म सभा के बीच मुस्लिम बोर्ड ने कहा, मसला एक मस्जिद देने का नहीं बल्कि उसूल का है
मौलाना रहमानी ने कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अयोध्या में सेना तैनात करने की जो मांग की है, वह गलत नहीं है।
लखनऊ: राम मंदिर निर्माण को लेकर अयोध्या में ‘धर्म सभा‘ के नाम पर विश्व हिन्दू परिषद (VHP) के शक्ति परीक्षण और शिवसेना की आक्रामक गतिविधियों के बीच ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड (AIMPLB) ने इन कवायद को सुप्रीम कोर्ट के लिए खुली चुनौती करार दिया है। AIMPLB ने इस मसले पर रविवार को कहा कि यहां मसला एक मस्जिद के देने का नहीं है, बल्कि उसूल का है कि हम लोग इस मुल्क में धीरे-धीरे और कितनी मस्जिदें कुर्बान करेंगे।
‘अदालती निजाम को दी जा रही है चुनौती’
बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने अयोध्या में हो रही ‘धर्म सभा’ और शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के दर्शन कार्यक्रम पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि ऐसे हालात बनाये जा रहे हैं, जिससे स्पष्ट तौर पर मुसलमानों के खिलाफ फ़िज़ा बन रही है। उसके साथ-साथ अदालती निजाम को भी खुली चुनौती दी जा रही है। आज धर्म सभा में लगा जमावड़ा इस पर मुहर लगा रहा है।
‘अयोध्या का घटनाक्रम आशंकाएं पैदा कर रहा है’
उन्होंने कहा कि अयोध्या में हो रहा घटनाक्रम कई तरह की आशंकाएं पैदा कर रहा है। शिवसेना ने मंदिर मुद्दे को लेकर भाजपा पर बढ़त हासिल करने के लिये मोर्चा खोल लिया है। हो सकता है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे विवादित स्थल पर दर्शन करने जाएं और एक ईंट ले जाकर रख दें। बाद में यह दावा करें कि हमने मंदिर निर्माण का काम शुरू कर दिया है। इससे हालात खराब हो सकते हैं।
‘गलत नहीं है अखिलेश यादव की मांग’
मौलाना रहमानी ने कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अयोध्या में सेना तैनात करने की जो मांग की है, वह गलत नहीं है। खासकर उत्तर प्रदेश में पुलिस की जिस तरह की भूमिका है और जिस तरह वह मुसलमानों के प्रति पूर्वाग्रहपूर्ण कार्रवाई कर रही है, उससे ऐसा महसूस होता है कि अखिलेश पुलिस से मायूस हो चुके हैं। इसीलिये उन्होंने अयोध्या में फौज तैनात करने की मांग की है। बहरहाल, अगर कहीं कोई साम्प्रदायिक वारदात होगी तो उसकी जिम्मेदार सिर्फ सरकार ही होगी।
‘अयोध्या से बाहर मस्जिद बनाने की बात करते हैं’
रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले के मुद्दई हाजी महबूब द्वारा बातचीत के जरिये मसले के हल की श्रीश्री रविशंकर की कोशिशों का समर्थन किये जाने के बारे में बोर्ड महासचिव ने कहा कि जहां तक बातचीत का मामला है तो मसला यह है कि हमसे यही कहा जाता है कि आप अयोध्या से बाहर मस्जिद बनाएं। यह तो हुक्म देने वाली बात हुई। ‘कुछ तुम पीछे हटो, कुछ हम हटें’ वाली कोई बात ही नहीं होती।
‘हम लोग कितनी मस्जिदें कुर्बान करेंगे’
उन्होंने साफ कहा, ‘मसला एक मस्जिद के देने का भी नहीं है, बल्कि मसला उसूल का है, कि हम लोग इस मुल्क में धीरे-धीरे और कितनी मस्जिदें कुर्बान करेंगे। अगर हम किसी एक पक्ष से बातचीत करें तो कल उसे हटा दिया जाएगा, और दूसरे लोग खड़े हो जाएंगे। श्रीश्री रविशंकर ने कहा था कि आप अयोध्या से बाहर बहुत बड़ी मस्जिद बना लीजिये। मगर बाद में श्रीश्री किनारे हो गये। सोचिये, अगर उनसे कोई समझौता कर लिया गया होता तो क्या होता।’
‘क्या गारंटी है कि दोबारा हंगामा नहीं होगा’
मौलाना रहमानी ने कहा, ‘अगर आज बाबरी मस्जिद के बारे में कोई समझौता किया जाए तो उसमें कई नुकसानात हैं। पहला यह, कि तब कहा जाएगा कि अगर मुसलमान एक मस्जिद छोड़ सकते हैं तो दूसरी, तीसरी, चौथी क्यों नहीं। दूसरा, अगर ज्यादातर मुस्लिम पक्षकार मस्जिद की जमीन देने के समझौते पर दस्तखत कर भी देते हैं, तो क्या गारंटी है कि हस्ताक्षर ना करने वाले लोग दूसरी मस्जिद के लिए हंगामा नहीं करेंगे।’
‘बहुत से हिंदू भाई भी इसे राजनीति मान रहे’
इस सवाल पर कि क्या मंदिर मुद्दे को गरमाने और उसे बहुत बड़े दायरे में फैलाने की कोशिशें कामयाब हो रही हैं, बोर्ड महासचिव ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि दूसरे बहुत से हिन्दू भाई भी अयोध्या में जारी गतिविधियों को कोरी राजनीति मान रहे हैं। मगर जिस आंदोलन की बुनियाद पर हिन्दुओं को प्रभावित करने की कोशिश हो रही है, उसमें जरूर कामयाबी मिल रही है। उस कामयाबी को सपा प्रमुख अखिलेश की मांग से जोड़कर देखें, तो सचाई का पता लगता है।
बोर्ड की आपात बैठक बुलाने की संभावना से इनकार
मौलाना रहमानी ने कहा कि आगामी 16 दिसम्बर को लखनऊ में होने वाली बोर्ड की वर्किंग कमेटी की बैठक के एजेंडे में अयोध्या के ताजा हालात का मुद्दा शामिल नहीं है लेकिन इस पर बातचीत जरूर की जाएगी। हालांकि उन्होंने हालात के मद्देनजर बोर्ड की आपात बैठक बुलाये जाने की सम्भावना से इनकार किया।