वाराणसी: उत्तर प्रदेश के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की एक महिला छात्रा ने आरोप लगाया है कि दलित होने के चलते दो प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सुरक्षा गार्डो ने उसे परिसर के शौचालय में प्रवेश करने से रोका। हालांकि दोनों गार्डो ने भेदभाव करने के आरोपों से इनकार किया और कहा कि उन्होंने विद्यार्थी को इसलिए रोका क्योंकि वह महिला होकर पुरुष शौचालय में जाने का प्रयत्न कर रहीं थी।
चीफ प्रॉक्टर ओ.पी. राय ने आरोप की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। खबरों के अनुसार, कला का अध्ययन कर रही शिकायतकर्ता बीएचयू की एससी/एसटी विद्यार्थी कार्यक्रम आयोजन समिति की एक सक्रिय सदस्य है।
छात्रा ने कहा कि वह कॉलेज के विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करने के लिए पिछले पांच दिनों से महिला महाविद्यालय परिसर के पास बहुजन हेल्पडेस्क में काम कर रही थी।
महिला महाविद्यालय परिसर में गुरुवार को जब छात्रा ने एक शौचालय का उपयोग करने के लिए प्रवेश करने का प्रयास किया, तो गार्डो ने उसे रोक दिया। उन्होंने कथित तौर पर उसे शौचालय का उपयोग करने के लिए अस्पताल या कॉलेज परिसर में जाने को कहा।
छात्रा ने चीफ प्रॉक्टर से अपनी लिखित शिकायत में कहा, "उनका रवैया भेदभावपूर्ण, अमानवीय और गैरकानूनी था।" छात्रा ने गार्डो के खिलाफ 'तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई' की मांग की है।
राय ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने छात्रा की शिकायत प्राप्त की और व्यक्तिगत रूप से उसकी शिकायतों को सुनने के लिए उससे मुलाकात की। राय ने कहा, "आरोपी गार्डो को तलब किया गया। उन्होंने दावा किया है कि छात्रा महिला होकर पुरुष शौचालय में जाने का प्रयत्न कर रहीं थी।"
उन्होंने आगे कहा, "हालांकि हमने इस बाबत एक पैनल का गठन किया है, जिसमें मामले की जांच के लिए दो महिला अधिकारी शामिल हैं।" राय ने कहा कि समिति की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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