गजब! चोरी पकड़ी गई तो हड़ताल पर गए लखनऊ के सारे पेट्रोल पंप
लखनऊ में सोमवार को उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के पेट्रोल पंप संचालकों द्वारा रिमोट और चिप के जरिए ईंधन चोरी के खुलासे और रोजाना छापेमारी के बाद यहां के सभी पेट्रोल पंप हड़ताल पर चले गए हैं।
नई दिल्ली: लखनऊ में सोमवार को उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के पेट्रोल पंप संचालकों द्वारा रिमोट और चिप के जरिए ईंधन चोरी के खुलासे और रोजाना छापेमारी के बाद यहां के सभी पेट्रोल पंप हड़ताल पर चले गए हैं। रात को 9:30 बजे के करीब पेट्रोल पंपों पर ताला पड़ गया इसके बाद लोग पेट्रोल या डीजल भरवाने के लिए जहां-तहां भटकते रहे। (पाकिस्तान से शहीदों का बदला लेने के लिए भारतीय सेना को मिली खुली छूट)
वहीं, लखनऊ पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने अपने मोबाइल बंद कर दिए हैं। एक पेट्रोल पंप के मैनेजर ने बताया कि इसके पूर्व दोपहर में पेट्रोल पंप संचालकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करने की कोशिश की थी। लेकिन उनको समय नहीं दिया गया जिसके बाद पेट्रोल पंपों ने हड़ताल कर दी।
लखनऊ पेट्रोल डीलर्स एसोशिउशन के लोगों ने बताया कि यूपी पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन भी पूरे यूपी में मंगलवार से हड़ताल का ऐलान कर सकती है। लखनऊ पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के सेक्रेटरी सुधीर वोरा का कहना है, 'यह हड़ताल नहीं हमारी मजबूरी है क्योंकि पेट्रोल पंप पर काम करने वाले सारे कर्मचारियों ने एसटीएफ के डर से काम करने से इनकार कर दिया है।'
बता दें कि एसटीएफ ने 27 अप्रैल से छापेमारी शुरू की थी। अब तक 14 पेट्रोल पंपों पर छापा मारा जा चुका है और तकरीबन सभी में चोरी पाई गई है। पेट्रोल पंपों पर छापे मारने की शुरुआत एक शख्स की गिरफ्तारी के बाद हुई जिसने बताया कि उसने पेट्रोल चोरी में इस्तेमाल होने वाली एक हजार इलेक्ट्रॉनिक चिप्स पेट्रोल पंपों में लगाई है। एसटीएफ का अनुमान है कि चिप लगे पेट्रोल पंपों से औसतन 12 से 15 लाख रुपये महीने के पेट्रोल की चोरी होती है।
एसटीएफ का कहना है कि पेट्रोल पंप मालिक अपनी चोरी रोकने के लिए एक-दो दिन के भीतर ही तेल कंपनियों को फोन करके अपनी मशीन खराब होने की जानकारी दे रहे हैं। कई जगह तो पेट्रोल पंप वालों ने मशीन से वह पूरा नक्शा ही निकाल लिया था जिसमें वह चीटिंग चिप लगा था।
कई जगह पेट्रोल पंप पर पहुंचते ही मैनेजर और मालिक भाग खड़े हो रहे हैं। वहीं अधिकतर जो ग्रुप और मालिक हैं इस पूरे रैकेट से अंजान होने की दलील दे रहे हैं। हालांकि एसडीएम को मिली प्राथमिक जानकारी के मुताबिक यह जाल कई जिलों में प्रदेश के कोने-कोने में फैला हुआ है।
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