उत्तर प्रदेश: जानें, क्या है विधानपरिषद की 13 सीटों का गणित, किसे मिल सकती हैं कितनी सीटें
विधान परिषद चुनाव के रिटर्निंग अफसर अशोक कुमार चौबे ने लखनऊ में बताया कि उच्च सदन की 13 सीटों के लिए इतने ही उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सभी 13 सीटों के लिए निर्विरोध निर्वाचन लगभग तय हो गया है। सोमवार को नामांकन के अंतिम दिन तक प्रत्येक सीट पर एक-एक प्रत्याशी ने नामांकन किया। विधान परिषद चुनाव के रिटर्निंग अफसर अशोक कुमार चौबे ने लखनऊ में बताया कि उच्च सदन की 13 सीटों के लिए इतने ही उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है। हाल में सम्पन्न राज्यसभा के चुनाव के विपरीत विधान परिषद चुनाव में सभी 13 सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया है। मतदान के लिए 26 अप्रैल की तारीख निर्धारित की गई थी।
मंगलवार को होगी नामांकन पत्रों की जांच
चौबे ने बताया कि 12 प्रत्याशियों ने सोमवार को नामांकन दाखिल किया। एक अन्य उम्मीदवार ने गत 12 अप्रैल को पर्चा भरा था। नामांकन पत्रों की जांच मंगलवार को होगी। सभी ठीक पाए गए तो सभी सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन तय है। मालूम हो कि विधान परिषद सदस्य और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव तथा भाजपा सरकार के मंत्रियों महेन्द्र सिंह और मोहसिन रजा समेत 13 सदस्यों का कार्यकाल आगामी 5 मई को समाप्त हो रहा है। जो 13 सीटें खाली होंगी, उनमें 7 सपा की, 2-2 भाजपा और बसपा की और एक राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) की है। इनमें एक सीट पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी की भी है, जो उनके सपा से बसपा में जाने के बाद रिक्त हुई थी।
बीजेपी आराम से जीत सकती है 11 सीटें
सपा अध्यक्ष अखिलेश के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी, सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम, उमर अली खां, मधु गुप्ता, रामसकल गुर्जर और विजय यादव का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसके अलावा बसपा के विजय प्रताप और सुनील कुमार चित्तौड़ तथा रालोद के एकमात्र सदस्य चौधरी मुश्ताक का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है। एक प्रत्याशी को जिताने के लिये प्रथम वरीयता के 29 मतों की जरूरत होगी। प्रदेश से राज्यसभा की 10 सीटों पर पिछले महीने हुए चुनाव में 9 सीटें जीतने वाली भाजपा प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में 324 विधायकों के दम पर कम से कम 11 सीटें आसानी से जीत सकती है। भाजपा ने इनमें से एक सीट अपनी सहयोगी पार्टी ‘अपना दल (सोनेलाल)’ को दी है।
ये हैं बीजेपी के उम्मीदवार
भाजपा ने मंत्री महेन्द्र सिंह और मोहसिन रजा के अलावा डॉक्टर सरोजिनी अग्रवाल, बुक्कल नवाब, यशवंत सिंह, जयवीर सिंह, विद्यासागर सोनकर, विजय बहादुर पाठक, अशोक कटारिया और अशोक धवन को भी प्रत्याशी बनाया है। ग्यारहवीं सीट पर अपना दल (सोनेलाल) के आशीष सिंह पटेल ने नामांकन दाखिल किया है। सपा ने एक सीट पर अपने प्रान्तीय अध्यक्ष और मौजूदा विधान परिषद सदस्य नरेश उत्तम को प्रत्याशी बनाया है। दूसरी सीट पर बसपा के भीमराव आंबेडकर मैदान में हैं। सपा ने राज्यसभा चुनाव की तरह इस चुनाव में भी बसपा का साथ देने का एलान किया है और मौजूदा गणित के हिसाब से देखें तो राज्यसभा चुनाव में मायूस हुए अम्बेडकर का प्रदेश विधानमण्डल के उच्च सदन में पहुंचना तय है।
सपा के पास कुल 45 वोट
सपा के पास 47 विधायक हैं लेकिन उसके राष्ट्रीय महासचिव रहे नरेश अग्रवाल के भाजपा में चले जाने के बाद उनके विधायक पुत्र नितिन अग्रवाल ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा को वोट दिया था। वहीं उसके विधायक हरिओम यादव जेल में हैं। वह राज्यसभा चुनाव में वोट नहीं डाल सके थे। ऐसे में सपा के पास 45 वोट ही हैं। वह अपने दम पर एक प्रत्याशी को विधान परिषद पहुंचा सकती है। इसके बावजूद उसके पास 16 वोट बच जाएंगे।
इस बार जीत सकते हैं भीमराव आंबेडकर
बसपा के पास 19 विधायक हैं, मगर उसके विधायक मुख्तार अंसारी राज्यसभा चुनाव में वोट नहीं डाल सके थे, लिहाजा इस बार भी उनके वोट डालने की सम्भावना बहुत कम है। वहीं, बसपा विधायक अनिल सिंह ने भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी। उस लिहाज से देखें तो बसपा अपने 17 विधायकों पर ही भरोसा करेगी। सपा का साथ मिलने से बसपा प्रत्याशी की नैया आसानी से पार हो जाएगी। प्रदेश की 100 सदस्यीय विधान परिषद में इस वक्त भाजपा के मात्र 13 सदस्य हैं। वहीं, सपा के 61, बसपा के नौ, कांग्रेस के दो, राष्ट्रीय लोकदल का एक तथा अन्य 12 सदस्य हैं। 2 सीटें रिक्त हैं।