गणतंत्र दिवस के दिन कासगंज में क्यों लगे 'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' के नारे?
कासगंज में हिंसा के बाद भाजपा के लोकल नेताओं की तरफ से ऐसा दावा किया गया जिससे इस पूरे मामले ने एक नया मोड़ ले लिया है।
नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस के दिन शुक्रवार को हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश के कासगंज में अब शांति है। पूरी रात शहर में शांति बनी रही और संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बल तैनात रहे। हालात काबू में रखने के लिए धारा 144 लागू है। कल दो गुटों के बीच फसाद के दौरान फायरिंग हुई थी जिसमें चंदन नाम के एक छात्र की मौत हो गई जबकि दो और लोग घायल हुए हैं। चंदन के परिवार वाले उसे शहीद का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। यहां आगजनी और पथराव पर तो पुलिस ने काबू पा लिया है लेकिन उसके निशान अब भी बाकी हैं।
बता दें कि 26 जनवरी के मौके पर ABVP प्रभात फेरी निकाल रही थी। बाइक पर सवार काफिला जैसे ही बिलराम गेट के पास पहुंचा दूसरे गुट ने इसका विरोध किया जिसके बाद पथराव शुरू हो गया। आगजनी और फायरिंग तक की गई जिसमें तीन लोगों को गोली लगी जिसमें एक युवक की मौत हो गई। हिंसा हुई तो सियासत भी तेज़ हो गई। भाजपा के सांसद-विधायक सड़कों पर उतरे आए और ये आरोप लगा दिया कि हमला करने वालों ने पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाए थे लेकिन इन आरोपों की पुष्टि नहीं हुई है।
कासगंज में हिंसा के बाद भाजपा के लोकल नेताओं की तरफ से ऐसा दावा किया गया जिससे इस पूरे मामले ने एक नया मोड़ ले लिया है। भाजपा के सांसद-विधायक के मुताबिक जब तिरंगा यात्रा निकाल रहे ABVP के कार्यकर्ताओं का जुलूस बिलराम गेट के पास पहुंचा तो बाइक सवारों के आगे कुर्सिंयां फेंक कर उनका रास्ता रोक दिया गया।
भाजपा के सांसद-विधायक ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान ज़िंदाबाद और हिंदुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए गए और जुलूस में शामिल ABVP कार्यकर्ताओं से भी ऐसे ही नारे लगाने के लिए कहा गया लेकिन कासगंज के एसपी ने भाजपा नेताओं के दावे को खारिज कर दिया है।
हिंसा के गुनहगारों का पता लगाने के लिए पुलिस की तहकीकात जारी है और सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले जा रहे हैं। अफसर से लेकर सरकार के मंत्री तक दावे कर रहे हैं कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। वहीं पीड़ित परिवार अब चंदन को शहीद का दर्जा देने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहा है।