UP Elections 2017: मुलायम सिंह यादव ने चुनाव प्रचार के लिए सिर्फ दो रैलियां की
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार अभियान अपने चरम पर पहुंच चुका है लेकिन सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने इस साल के चुनाव प्रचार अभियान में सिर्फ दो रैलियों को
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार अभियान अपने चरम पर पहुंच चुका है लेकिन सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने इस साल के चुनाव प्रचार अभियान में सिर्फ दो रैलियों को ही संबोधित किया है जबकि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने 300 रैलियों को संबोधित किया था। राजनतिक दलों के लोग जहां पूरे राज्य में मतदाताओं को लुभाने के लिए प्रचार में जुटे हैं, वहीं मुलायम सिंह यादव ज्यादातर घर पर ही रहे। यादव:77 वर्षीय: ने सिर्फ अपने छोटी बहू अपर्णा यादव और भाई शिवपाल सिंह यादव के लिए चुनाव प्रचार किया है। अपर्णा लखनऊ कैंट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं और शिवपाल इटावा के जसवंतनगर से मैदान में हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के सात चरणों में से पांच चरण के लिए मतदान खत्म हो चुका है। उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों का कहना है कि सपा मुखिया का दबदबा राज्य के 403 सीटों में से दो सीट तक ही सीमित है। उत्तर प्रदेश के 2012 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान सपा मुखिया ने 300 से ज्यादा रैलियों को संबोधित किया था। वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अपने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए सिर्फ 18 रैलियां की थी। इस पर वरिष्ठ भाजपा नेता हृदय नारायण दीक्षित ने कहा, जिस समय वह पार्टी संरक्षक बनें, उसी समय खुद ही उनका दबदबा पार्टी में कम हो गया। और इसके अलावा उन्हें अगर दो विधानसभा सीटों पर प्रचार करने का भी मौका मिला है तो उन्हें अपने सितारों का शुक्रिया अदा करना चाहिए।
दीक्षित ने कहा कि सपा और बसपा दोनों ही एक कोशीय जीव हैं, जिसमें केवल एक व्यक्ति अंतत: रह सकता है। वरिष्ठ भाजपा नेेता ने कहा कि पहले इसमें मुलायम सिंह यादव थे और अब अखिलेश की बारी है। दीक्षित ने कहा, बसपा भी एक कोशीय जीव है। कांग्रेस गांधी के समय तक कई कोशीय जीव हुआ करता था लेकिन यह अब एक पर आकर केंद्रीत हो गया है। भाजपा बहुकोशीय जीव है और विभिन्न क्षेत्रों के नेता चुनाव में शामिल हैं। वरिष्ठ समाजवादी रघुनंदन सिंह काका का कहना है, सपा मुखिया मजबूर और निराश हो गए हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि अन्य पार्टियों के नेता भी उनको लेकर चिंतित हैं।
सिंह ने कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि अखिलेश अपना रास्ता भूल गए हैं। लोक दल के अध्यक्ष सुनिल सिंह ने कहा कि यह सच में सपा के लिए दुखद है कि जिस नेताजी ने उसकी स्थापना की, उसे उसी का आर्शीवाद नहीं मिल रहा है। यहां तक कि राजनीतिक विरोधी भी मुलायम और शिवपाल पर चुटकी लेने में संकोच नहीं कर रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बलिया में अपनी रैली के दौरान कहा था कि सपा मुखिया ने साइकिल की हवा निकाल दी और शिवपाल ने साइकिल की चेन तोड़ दी।
इसी तरह से बसपा प्रमुख मायावती ने भी बलिया की रैली में मुलायम पर चुटकी लेते हुए कहा था कि मुलायम पुत्र मोह से प्रभावित हैं और यहां तक कि भाई शिवपाल का अपमान भी उन्होंने किया। इसबीच बदायूं में सपा के सांसद धर्मेंद्र यादव ने दूसरी पार्टी के नेताओं की बातों को खारिज करते हुए कहा, नेताजी का आशिर्वाद हमारे साथ है। यहां तक कि सपा-कांग्रेस के प्रत्येक उम्मीदवार को उनका अशिर्वाद प्राप्त है। इसलिए नेताजी के दबदबे में कमी आने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता है। बदायूं सांसद और मुलायम के भतीजे का दावा है कि सपा-कांग्रेस गठबंधन को भी मुलायम का आशिर्वाद और सहमति प्राप्त है।