UP Election: बुंदेलखंड में BSP, BJP पर भारी पड़ सकता है 'सपा-कांग्रेस' गठबंधन!
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (SP) और कांग्रेस में हुए गठबंधन से बुंदेलखंड के बांदा जिले की सदर विधानसभा सीट में बहुजन समाज पार्टी (BSP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर भारी पड़ सकता है।
IANS Jan 25, 2017, 17:46:50 IST
बांदा: उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (SP) और कांग्रेस में हुए गठबंधन से बुंदेलखंड के बांदा जिले की सदर विधानसभा सीट में बहुजन समाज पार्टी (BSP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर भारी पड़ सकता है। यहां BSP के 'दलित-ब्राह्मण-मुस्लिम' फॉर्मूले के कारगर होने के कम ही आसार हैं।
दलित मतों का बिखराव
बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती 'दलित-ब्राह्मण-मुस्लिम' के फॉर्मूले के आधार पर चुनाव जीत कर सूबे की सत्ता में काबिज होना चाहती हैं, लेकिन यह फॉर्मूला विधानमंडल के दोनों सदनों में नेता प्रतिपक्ष गयाचरण दिनकर और नसीमुद्दीन सिद्दीकी के गृह जिले बांदा की सदर सीट में ही कारगर होते नहीं दिख रहा। इसकी सबसे बड़ी वजह दलित मतों का बिखराव और सपा-कांग्रेस गठबंधन की ओर मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण के होने वाले अंदेशे को माना जा रहा है।
विधानसभा चुनाव 2012 का गणित
पिछले विधानसभा चुनाव 2012 पर नजर डालें तो बांदा सदर सीट से कांग्रेस के विवेक सिंह (क्षत्रिय) ने 49,270 वोट पाकर जीत हासिल की थी। BSP के दिनेशचंद्र शुक्ला (ब्राह्मण) को 41,729, BJP के प्रभाकर अवस्थी (ब्राह्मण) को 24,890 और सपा की अमिता बाजपेयी (ब्राह्मण) को 24,625 वोट मिले थे। मौजूदा वोटर लिस्ट के जातीय समीकरण के अनुसार, सदर सीट में दलित करीब 81,000, ब्राह्मण 39,500, कुशवाहा 29,000, मुस्लिम 26,500, वैश्य 23,500, यादव 19,000, क्षत्रिय 18,500, लोधी 12,000, कायस्थ 9,500 और कुम्हार साढ़े नौ हजार के आस-पास मतदाता हैं। सदर सीट में कुल मतदाताओं की संख्या 3,02,942 है, इनमें 1,36,024 महिला और 1,66,901 पुरुष मतदाता शामिल हैं।
BSP की सबसे बड़ी भूल
BSP की सबसे बड़ी भूल यह है कि वह करीब 81 हजार दलित मतों को एक विशेष दलित कौम (जाटव) मान कर राजनीतिक गुणा-भाग लगाती है, जबकि तल्ख सच्चाई यह है कि इन दलित मतों में आधे से ज्यादा कोरी, धोबी, सोनकर, मेहतर, कुछबंधिया और पासी बिरादरी भी शामिल है, जो लगातार राजनीतिक उपेक्षा के चलते बसपा से अलग होती जा रही है।
BJP को हराने के लिए गोलबंद होंगे मुस्लिम वोटर
इस बार के चुनाव में BSP से डॉ. मधुसूदन कुशवाहा, BJP से प्रकाश द्विवेदी और गठबंधन खाते में कांग्रेस पाले से निवर्तमान विधायक विवेक सिंह चुनाव मैदान में होंगे। हालांकि सदर सीट से 1991 के चुनाव BSP के नसीमुद्दीन सिद्दीकी और 2007 में BSP के ही बाबूलाल कुशवाहा विधायक चुने जा चुके हैं। यहां के मुस्लिम मतदाता BJP उम्मीदवार को हराने में सक्षम दल और उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करते आए हैं, अबकी बार भी यही होने के कयास लगाए जा रहे हैं।
गठबंधन का BSP पर असर नहीं: कुशवाहा
हालांकि BSP के बांदा सदर से उम्मीदवार डॉ. मधुसूदन कुशवाहा ने मंगलवार को कहा कि 'सपा-कांग्रेस गठबंधन का असर बसपा पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि निवर्तमान विधायक और कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार से मतदाता काफी खुश नहीं है।' वह कहते हैं कि 'सपा के पूर्व घोषित उम्मीदवार हसनुद्दीन सिद्दीकी के चुनाव लड़ने से आंशिक असर पड़ रहा था, लेकिन अब BSP का मुस्लिम वोट बिखरने से बच गया है।'
दलित वोट हो सकते हैं निर्णायक
बुंदेलखंड के राजनीतिक विश्लेषक रणवीर सिंह चौहान एड़ कहते हैं कि 'सपा-कांग्रेस गठबंधन BSP और BJP दोनों पर भारी पड़ सकता है। BSP जहां जातीय समीकरणों की भूल से मात खा सकती है, वहीं BJP को मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण से काफी क्षति उठानी पड़ सकती है।' उन्होंने कहा कि BSP से राजनीतिक तौर उपेक्षित दलित मतदाताओं को जो दल अपनी ओर खींच लेगा, उसी की फतह संभव है। अनुसूचित वर्ग में कुछ कौमें ऐसी हैं, जो चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा करती हैं। 1991 और 2007 के चुनाव में ये कौमें BSP के साथ जुड़ी थीं, अब BSP से इनका मोहभंग सा हो गया है।