लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भले ही सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस मिलकर जनता को यूपी को ये साथ पसंद है का नारा याद करा रहे हों, लेकिन कम से कम 12 सीटें ऐसी हैं जिन पर इन दोनों के ही प्रत्याशी एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं।
दोनों ही पार्टियों के नेता कह रहे हैं कि एक ही सीट पर सपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने का मसला जल्द ही सुलझा लिया जाएगा लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक पहले चरण के चुनाव में महज दो दिन बाकी रह गये हैं, ऐसे में दोनों पार्टियों को जो नुकसान होना था, वह लगभग हो चुका है।
सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने इस बारे में पूछे जाने पर भाषा को बताया कि यह सही है कि कुछ सीटों पर सपा और उसकी साझीदार कांग्रेस के उम्मीदवार एक दूसरे को ही चुनौती दे रहें हैं लेकिन इस मामले को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा।
दूसरी ओर, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव गुलाम नबी आजाद का इस बारे में कहना है कि शुरू में गठबंधन को लेकर उहापोह की स्थिति थी। सपा उम्मीदवारों ने कुछ सीटों पर यह सोच कर नामांकन दाखिल कर दिया था कि उनके और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं होगा। इसके अलावा कई जगहों पर उनके उम्मीदवार अपना नामांकन वापस लेना चाहते थे लेकिन अनिश्चितता के कारण ऐसा नहीं कर सके।
उन्होंने कहा कि जिन सीटों पर दोनों पार्टियों के उम्मीदवार खड़े वहां दोनों पार्टियां उनके पक्ष में प्रचार करेंगी। बहरहाल, दोनों पार्टियों के नेताओं के दावे कुछ भी हों, लेकिन कई महत्वपूर्ण सीटों पर स्थिति बेहद गम्भीर है। खासकर नेहरू-गांधी परिवार के गढ़ अमेठी और रायबरेली में। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के चुनाव क्षेत्र अमेठी में विधानसभा की कुल 10 सीटें हैं।
रायबरेली की सरेनी सीट पर कांग्रेस के अशोक सिंह और सपा के देवेन्द्र प्रताप सिंह सपा के टिकट पर एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं।
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