नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी (BSP) के नेता और पूर्वांचल के बाहुबली माने जाने वाले मुख़्तार अंसारी को सोमवार को तब बड़ा झटका लगा जब दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी परोल की याचिका ख़ारिज कर दी। बता दें कि अंसारी की परोल याचिका के ख़िलाफ़ चुनाव आयोग ने अपील करके कहा था कि अंसारी को परोल मिलने से कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। आयोग ने आशंका व्यक्त की थी कि अंसारी के बाहर आने से उ प्र चुनाव प्रचार पर असर पड़ेगा।
इस मामले में हाईकोर्ट ने अंसारी को नोटिस भेज कर जवाब मांगा था। हालांकि चुनाव प्रचार के लिए अंसारी को सीबीआई कोर्ट से पेरोल मिल गई थी। अंसारी पर नवंबर 2005 में कृष्णा नंदन राय की हत्या का आरोप है और उन पर मुक़दमा चल रहा है।
शुक्रवार को हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग, अंसारी और उत्तर प्रदेश सरकार की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अखिलेश सरकार ने भी अंसारी को मिली राहत का विरोध किया था।
उल्लेखनीय है कि हाल में बसपा में शामिल हुए अंसारी मउ सदर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। निचली अदालत ने चुनाव प्रचार करने के लिए गत 16 फरवरी को उन्हें चार मार्च तक के लिए हिरासत में परोल पर रखा है। इससे पहले अंसारी भाइयों की पार्टी कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय होने की खबर थी। अंसारी बंधुओं के इस कदम का अखिलेश यादव ने विरोध किया था और उसके बाद पार्टी में विवाद हो गया था और फिर इसका बहुजन समाज पार्टी में विलय हो गया था।
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