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UP election 2017: 73 सीटों पर चुनाव कल, इन नेताओं की साख है दांव पर

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 15 ज़िलों की 73 सीटों पर 11 फरवरी यानी कल शनिवार को मतदान होने जा रहा है। मुस्लिम और जाट बहुत इस इलाके कई ऐसे नेता हैं, जिनकी साख दांव पर

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 15 ज़िलों की 73 सीटों पर 11 फरवरी यानी कल शनिवार को मतदान होने जा रहा है। मुस्लिम और जाट बहुत इस इलाके कई ऐसे नेता हैं, जिनकी साख दांव पर लगी है। सांप्रदायिक दंगे और जाट और मुस्लिम के बीच अविश्वास की रौशनी में पश्चिमी यूपी की पांच हस्तियों का असर इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा है और इस चरण में इन्हीं की सियासी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।

राष्ट्रीय लोकदल के जाट नेता अजित सिंह

Ajit Singh

देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पुत्र व राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया अजित सिंह को पश्चिमी यूपी का कद्दावर नेता माना जाता है। गन्ना बेल्ट' के नाम से मशहूर इस क्षेत्र की जाट बहुल सीटों पर अजित सिंह का ख़़ासा प्रभाव माना जाता है। हालांकि, 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को झटका जरूर लगा था, लेकिन अब हालात बदले नज़र आ रहे हैं। माना जाता है कि जाटों का झुकाव बीजेपी की तरफ भी होता है लेकिन हरियाणा में खट्टर सरकार के ख़िलाफ जाटों का आरक्षण की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन से बीजेपी को नुकसान हो सकता है।

इस चुनाव में पहले महागठबंधन में रालोद के भी शामिल होने की बात चर रही थी लेकिन समझौता न हो सका।

रालोद ने 2012 विधानसभा चुनाव में 46 उम्मीदवारों खड़े किये थे और उसके नौ उम्मीदवार जीते थे। वहीं, 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद परंपरागत जाट-मुस्लिम वोटबैंक खिसक गया था। यही वजह थी कि 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी का खाता तक नहीं खुला था लेकिन इस बार फिर से अपने खोए सियासी रसूख को वापस पाने की कोशिशों में हैं। इस बार रालोद की रैलियों में भीड़ भी खूब जुट रही है।

बीजेपी के विवादित नेता हुकुम सिंह

Hukum Singh

भारतीय जनता पार्टी से कैराना लोकसभा सीट से सांसद हुकुम सिंह गुर्जर हैं और इस समाज में उनका खासा प्रभाव माना जाता है। पिछले साल हुकुम सिंह ने कैराना से हिंदुओं के पलायन का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था। इस बार उनकी बेटी मृगांका सिंह चुनाव मैदान में हैं। इससे नाराज़ होकर भतीजा रालोद के टिकट पर इसी सीट से चुनावी मैदान में उतर आए हैं। 

केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान

Sanjeev Baliyan

भारतीय जनता पार्टी से मुज़फ्फ़रनगर लोकसभा सीट से सांसद संजीव बालियान भी अपने विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं और दंगों के बाद इन पर ध्रुवीकरण का आरोप लगा था।। फिलहाल केंद्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री हैं। मुज़फ्फ़रनगर में इनका प्रभाव माना जाता है।

संगीत सोम

Sangeet Som
संगीत सोम मेरठ की सरधना सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं और विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं। इन पर भी मुजफ्फरनगर दंगों के बाद ध्रुवीकरण के आरोप लगे हैं।

नरेश टिकैत

Naresh Tikait

नरेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के दिवंगत नेता महेंद्र सिंह टिकैत के पुत्र हैं। किसानों में जबर्दस्त पैठ है। ये भी जाट मतदाताओं को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

इन ज़िलों में होने हैं चुनाव

मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, हापुड़, गाजियाबाद, शामली और मुजफ्फरनगर हैं। मेरठ-सहारनपुर मंडल के इन जिलों की आबादी के लिहाज से देखा जाए तो तीन जातियों का वर्चस्व है। इस इलाके की सर्वाधिक आबादी मुस्लिमों की है जोकि कुल जनसंख्या का यहां 26 प्रतिशत हिस्सा है। 21 फीसद आबादी के हिसाब से दूसरा स्थान दलितों का है और 17 प्रतिशत के हिसाब से तीसरे स्थान पर जाट हैं।

वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में इस चरण की 73 में से भाजपा को केवल 11 सीटें मिली थीं। मगर दो साल बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में इस पार्टी ने इस अंचल की सभी लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने सहयोगी अपना दल के साथ प्रदेश की 80 में से 73 सीटें जीती थी।

पिछले विधानसभा चुनाव में यहां सपा, बसपा ने 24-24 सीटें जीतकर शानदार कामयाबी हासिल की थी और अजित सिंह के राष्ट्रीय लोकदल को 9 तथा कांग्रेस को पांच सीट मिली थी।

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