यूपी: राज्यपाल राम नाईक पर सपा विधायकों ने फेंके कागज के गोले, CM योगी ने बताया गुंडागर्दी
विपक्षी विधायकों की इन हरकतों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुंडागर्दी करार दिया।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानमंडल के बजट सत्र की मंगलवार को हंगामेदार शुरुआत हुई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्यपाल राम नाईक के अभिभाषण के दौरान विपक्षी सदस्यों ने उनकी ओर कागज के गोले उछाले। इसके अलावा विपक्ष ने जमकर नारेबाजी भी की। विपक्षी विधायकों की इन हरकतों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुंडागर्दी करार दिया। आपको बता दें कि विपक्षी दलों के विधायक राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान ‘राज्यपाल वापस जाओ’ के नारे लगा रहे थे।
खबरों के मुताबिक, राज्यपाल राम नाइक ने सुबह 11 बजे समवेत सदन में जैसे ही अभिभाषण पढ़ना शुरू किया, विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंने 'राज्यपाल वापस जाओ' के नारे लगाए और नाईक की तरफ कागज के गोले फेंके। हालांकि राज्यपाल की ओर फेंके गए कागज के गोले उन तक नहीं पहुंच सके और सुरक्षाकर्मियों ने फाइल कवर के सहारे उन्हें रोक लिया। विपक्षी सदस्यों के लगातार शोरगुल के बीच राज्यपाल ने अभिभाषण पढ़ना जारी रखा और प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं और उपलब्धियों के बारे में सिलसिलेवार ब्यौरा पेश किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अभिभाषण के दौरान राज्यपाल के सामने समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस सदस्यों ने जिस तरह का आचरण किया है वह निंदनीय है। योगी ने कहा, ‘इस तरह के असंवैधानिक और आलोकतांत्रिक प्रदर्शन से संसदीय लोकतंत्र और सदन की गरिमा भंग होती है।’ उन्होंने विपक्षी सदस्यों के आचरण को संसदीय लोकतंत्र को कमजोर करने वाला बताते हुए कहा कि इससे साबित होता है कि इन सदस्यों की लोकतंत्र में निष्ठा नहीं है और वे संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सपा सदस्यों ने गुंडागर्दी कर राज्यपाल पर कागज के गोले उछाले। उन्होंने कहा, ‘इससे स्पष्ट है कि सपा गुंडागर्दी वाले आचरण से अब भी बाज नहीं आ पा रही है। इनकी कार्यप्रणाली जब सदन में इतनी अराजक, अनुशासनहीन और बर्बर हो सकती है तो सार्वजनिक जीवन में इनका आचरण कैसा होता होगा? ’ उन्होंने कहा कि राज्यपाल प्रदेश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था है। योगी ने कहा, ‘सभी सदस्यों द्वारा दलीय निष्ठा से हटकर राज्यपाल के प्रति सम्मान का भाव संसदीय लोकतंत्र को मजबूती देता है। लेकिन सदस्यों ने सदन में जो आचरण किया है, वह निंदनीय है।’