सोनभद्र: आदिवासियों पर 'बिजली' गिरी, बल्ब जला नहीं लेकिन बिल 1 करोड़ रुपये का
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में 156 आदिवासी परिवार ऐसे हैं, जिनको कम से कम छह हजार और अधिकतम सवा करोड़ रुपये के बिजली बिल भेजे गए हैं।
सोनभद्र: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में जिस सोन और हरदी पहाड़ी में स्वर्ण अयस्क मिलने की संभावना के आधार पर भले ही आदिवासियों की माली हालत सुधारने की डींग हांकी जा रही हो, लेकिन इन पहाड़ियों के इर्द-गिर्द बसे आदिवासियों पर बिन बल्ब जलाए बिजली विभाग की ऐसी 'बिजली' गिरी है कि उन्हें आफत से बचने का कोई उपाय ढूंढे नहीं मिल रहा है।
आरंग पानी गांव के आदिवासी अमरनाथ तो सिर्फ बानगी है, जिसको सौभाग्य योजना के तहत विद्युत कनेक्शन लेने पर 1,13,18, 400 रुपये का बिल थमाया गया है। जी हां, आरंग पानी गांव के अमरनाथ को भेजे गए एक करोड़ 13 लाख रुपये के बिजली बिल को देखकर चौंकिए नहीं।
चोपन विकास खंड की जिस सोन और हरदी पहाड़ी में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) ने तकरीबन 52 हजार टन से ज्यादा स्वर्ण अयस्क से 160 किलोग्राम सोना मिलने की उम्मीद जताई है और सरकार ने इससे आदिवासियों की माली हालत सुधारने की जो बात कही है, उसका एक सच यह भी है कि इन पहाड़ियों के चारों तरफ आरंग पानी, पड़री, गढ़िया, कांचन, बेल्हाथी, पाटी, कुलडोमरी, रन टोला, खैरारी, पोखरा, चैनपुर, कोगा, मनबसा, झारो, बिछवारी, जरहा, जुगैल, पनारी और कोटा जैसे आदिवासियों के कई गांव हैं, जहां केंद्र सरकार ने अपनी अति महत्वाकांक्षी 'सौभाग्य योजना' के तहत आदिवासियों के घास-फूस की झोपड़ियों को रोशन करने का दावा किया है।
यहां 156 आदिवासी परिवार ऐसे हैं, जिनको कम से कम छह हजार और अधिकतम सवा करोड़ रुपये के बिजली बिल भेजे गए हैं। आरंग पानी गांव में छह बीघे भूमि के स्वामी आदिवासी अमरनाथ बताते हैं, "सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन देने के लिए विभागीय अधिकारी मुझसे आधार कार्ड ले गए थे, कनेक्शन भी मिला। लेकिन एक साल तक का जो बिजली का बिल भेजा गया, वह होश उड़ा देने वाला है।"
उन्होंने बताया कि उन्हें 1,13,18,400 रुपये का बिजली बिल भेजा गया है। अब सुधार के लिए वह अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। अमरनाथ ने बताया, "अब अधिकारी बिल का भुगतान न करने पर मेरी कृषि भूमि नीलाम करने की धमकी दे रहे हैं।" इसी गांव के दसई राम बताते हैं, "मेरे नाम 66,11,457 रुपये का बिजली बिल भेजा गया है।"
इसी तरह कांचन गांव के प्रधान कुदुश के अलावा इन गांवों के लालबाबू, जुगेश्वर, सुग्रीव, मानती, लीलावती, देवनाथ, रामजनम और रामबृक्ष जैसे 156 आदिवासी ऐसे हैं, जिनको बिना बल्ब जलाए ही हजारों, लाखों और करोड़ों रुपये के बिल थमाए गए हैं। कांचन गांव के प्रधान कुदुश ने बताया, "मैंने दुद्धी विद्युत वितरण उपखंड के अवर अभियंता (एसडीओ) से बिल सुधार की फरियाद की तो उन्होंने कहा कि बिजली बिल निजी सेक्टर के लोग वसूलते हैं, इस पर कोई भी मदद नहीं कर सकते।"
इस संबंध में दुद्धी के विद्युत विभाग के अवर अभियंता (एसडीओ) मनोज कुमार ने कहा, "यह गड़बड़ी ऊपर से हुई है और सुधार भी ऊपर से ही होगा। फिर भी हम जांच कराएंगे और समझौता विकल्प के तहत यथा संभव बिल कम करने की कोशिश करेंगे।"