जो कौम अपने इतिहास की रक्षा नहीं कर सकती, वह भूगोल की भी रक्षा नहीं कर सकती : योगी
योगी ने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक पर आधारित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘जो कौम अपने इतिहास की रक्षा नहीं कर सकती है वह अपने भूगोल की भी रक्षा नहीं कर सकती है। तिलक जी ने भारत की आजादी के लिए प्रखरता से काम किया।’’
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज कहा कि जो कौम अपने इतिहास की रक्षा नहीं कर सकती, वह अपने भूगोल की भी रक्षा नहीं कर सकती है। योगी ने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक पर आधारित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘जो कौम अपने इतिहास की रक्षा नहीं कर सकती है वह अपने भूगोल की भी रक्षा नहीं कर सकती है। तिलक जी ने भारत की आजादी के लिए प्रखरता से काम किया।’’
इस मौके पर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने लगभग 101 वर्ष पूर्व लखनऊ में ‘‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा’’ का नारा देकर देश में एक नई ऊर्जा भरते हुए स्वतंत्रता के आन्दोलन को एक नई दिशा दी थी। नाईक ने कहा, ‘‘यह वाक्य ‘सिंह की गर्जना’ के समान था। इस विचार ने पूरे देश को अपनी स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट किया। सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में मिली असफलता के कारण देश में निराशा छा गई थी। उस निराशा से उबारने में लोकमान्य तिलक के इस उद्घोष ने महत्वपूर्ण काम किया।’’
राज्यपाल ने यह विचार यहां लोक भवन में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के अमर उद्घोष के 101 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित ‘‘स्मृति समारोह’’ को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि लोकमान्य तिलक ने समाज को एकजुट करने के लिए ‘‘गणपति उत्सव’’ और ‘‘शिवाजी उत्सव’’ को सार्वजनिक समारोह बनाया। इन प्रयासों ने समाज में जागरूकता लाने का काम किया। तिलक जी के प्रयासों के चलते आज देश स्वतंत्र है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने कहा कि आजादी ने हमें बहुत कुछ दिया है। आज हम विश्व के सबसे बड़े स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि महापुरुषों ने स्वतंत्र भारत का जो सपना देखा था, उसमें जातिवाद, क्षेत्रवाद, अशिक्षा इत्यादि का कोई स्थान नहीं था। उन्होंने कहा कि स्वराज्य का तात्पर्य ऐसे राज्य से है जहां पर निर्णय लेने का अधिकार हो। परन्तु निर्णय संविधान के दायरे में ही रहकर लिए जाने चाहिए।
योगी ने कहा कि आज का यह समारोह अत्यन्त महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारे प्रधानमंत्री के ‘‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’’ के संकल्प के तहत उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों के बीच सांस्कृतिक सम्बन्धों के लिए एमओयू हुआ है। उन्होंने कहा कि 24 जनवरी, 2018 को आयोजित किए जा रहे ‘‘उत्तर प्रदेश दिवस’’ में दोनों राज्यों के सांस्कृतिक दल भाग लेंगे। योगी ने कहा कि जीवन में नकारात्मकता का कोई स्थान नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह हमारे काम की धार को कम कर देती है। उन्होंने कहा कि प्रसन्नचित रहते हुए और विभिन्न परिस्थितियों को अच्छा मानते हुए स्वीकार करना चाहिए। जीवन हताशा-निराशा नहीं बल्कि जूझने का नाम है, समाज को नई दिशा देने का नाम है।
इस अवसर पर योगी ने कार्यक्रम में भाग लेने आये महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की प्रपौत्र, वधू और पुणे की मेयर श्रीमती मुक्ता तिलक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, उनके परिजनों का हार्दिक अभिनन्दन करते हुए कहा कि आज का यह कार्यक्रम स्वतंत्रता आन्दोलन को प्रखर नेतृत्व प्रदान करने वाले लोकमान्य तिलक के उद्घोष के 101 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित किया गया है, जिससे इसे एक नया आयाम मिला है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के लिए एक नई योजना लागू करेगी।
फड़णवीस ने इस मौके पर कहा कि लोकमान्य तिलक के उद्घोष ने पूरे राष्ट्र को स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष हेतु प्रेरित किया। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन को एक नया आयाम दिया। सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को अंग्रेजों ने दमन से कुचला था। इससे देश में निराशा आ गई थी। लोकमान्य तिलक के इस नारे ने पूरे देश में नवचेतना का संचार किया।