मथुरा. श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले में मथुरा की एक अदालत में याचिका दायर कर एक हिंदू संगठन के लोगों ने मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व करने वाले विरोधी पक्षों को ब्रज क्षेत्र से कुछ दूरी पर डेढ़ गुना अधिक भूमि की पेशकश की है। हिंदू संगठन ने विरोधी पक्ष से भूमि पर अपना दावा छोड़ने का आग्रह किया। याचिकाकर्ताओं ने राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले का हवाला देते हुए यह पेशकश की है, जहां अदालत ने हिंदू पक्षों के पक्ष में फैसला सुनाया लेकिन सरकार से मुसलमानों को मस्जिद के लिए जमीन उपलब्ध कराने को कहा।
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और शाही मस्जिद ईदगाह की प्रबंधन समिति को मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने के प्रस्ताव को स्वीकार करना चाहिए। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन समिति ने मथुरा के वरिष्ठ सिविल जज की अदालत में दायर अपनी अर्जी में कहा कि वह मंदिर शहर के "चौरासी कोस परिक्रमा" क्षेत्र के बाहर मस्जिद प्रबंधन समिति को एक बड़ा भूखंड देगी। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन समिति के अध्यक्ष अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, "इंतजामिया समिति (प्रबंधन समिति) को शाही मस्जिद ईदगाह की जमीन से अधिक जमीन दी जाएगी।"
मथुरा में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 5 जुलाई तय की है। हिंदू संगठन ने कहा कि अगर मस्जिद की प्रबंधन समिति स्वेच्छा से मौजूदा शाही मस्जिद ईदगाह को ध्वस्त कर देती है और जमीन समिति को सौंप दी जाती है तो वह 'चौरासी कोस परिक्रमा' की परिधि के बाहर कुछ और जमीन भी देगी। वरिष्ठ दीवानी न्यायाधीश के अवकाश पर होने के कारण आवेदन सिविल न्यायाधीश द्वितीय अनुपम सिंह को सौंपा गया।
हालांकि मथुरा में शाही मस्जिद ईदगाह के सचिव और वकील तनवीर अहमद ने इस बात से इनकार किया कि उन्हें आवेदन की एक प्रति प्रदान की गई है। उन्होंने कहा, “इस तरह के आवेदन की कोई प्रति हमें नहीं सौंपी गई। हम प्रति प्राप्त करने के बाद उसमें किए गए बयानों की जांच करेंगे।” आपको बता दें कि मथुरा में मंदिर परिसर से सटे शाही ईदगाह (मस्जिद) को हटाने की मांग करते हुए देवता भगवान कृष्ण की ओर से 2020 में एक मुकदमा दायर किया गया था। हालांकि अहमद ने कहा कि मामले को चुनौती दी गई है।
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