मुजफ्फरनगर. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से भारतीय जनता पार्टी के सांसद संजीव बालियान की सभाओं में हंगामे के बाद 'जाट लैंड' की राजनीति और भी गर्मा गई है। गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों की अगुवाई कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) की आंखों में आंसू आने के बाद अजित सिंह की पार्टी एकबार फिर से इस क्षेत्र में अपने लिए संजीवनी तलाश रही है और गांव-गांव अपने नेटवर्क को फिर से बनाने में लगी हुई है। संजीव बालियान ने अपनी सभाओं में हुए हंगामे का ठीकरा सपा और रालोद पर ही फोड़ा है, उन्होंने कहा है कि भैसांवल और सोरम गांव में जो झड़प हुई वो पहले से प्लान करके की गई थी।
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संजीव बालियान ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत कर कहा, "भैसांवल में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी से जुड़े परिवार के 10-12 लोगों ने मुझसे बदसलूकी की। सोरम में एक कार्यक्रम के दौरान भी 5 से 6 रालोद कार्यकर्ताओं ने भी यही हरकत की। मेरे जाने के बाद, एक झड़प हुई। मेरे खिलाफ एकजुट होने के लिए मस्जिद से घोषणाएं की गईं।"
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न्यूज एजेंसी PTI-भाषा से बातचीत में संजीव बालियान ने कहा कि उन्होंने स्थानीय अधिकारियों से मामले की जांच करने का अनुरोध किया है। राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) प्रमुख अजित सिंह भी मंगलवार को घटना में घायल हुए लोगों को देखने पहुंचे। बालियान ने आरोप लगाया, "झड़प में शामिल लोग किसान नहीं बल्कि रालोद के पदाधिकारी थे। यह पूर्वनियोजित झड़प थी, वरना सोशल मीडिया पर वीडियो तत्काल कैसे सामने आए या रोलाद नेता के ट्वीट तत्काल कैसे सामने आए।"
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BJP समर्थक किसानों के आंदोलन को दबाना चाहते हैं- अजित सिंह
मंगलवार को राष्ट्रीय लोक दल (RLD) प्रमुख अजित सिंह ने आरोप लगाया कि भाजपा समर्थक तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध को बलपूर्वक दबाना चाहते हैं। सोरम गांव के दौरे पर आए अजित सिंह ने कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में धरना-प्रदर्शन कर रहे किसानों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने हर किसान की आवाज दबाने के लिए बल प्रयोग करने की आदत सी बना ली है।
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उन्होंने कहा, "सबसे पहले उन्होंने दिल्ली में प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे, फिर ठंड में पानी की बौछार की और लाठीचार्ज किया। सरकार ने उसके बाद किसानों का रास्ता रोकने के लिए बैरिकेड भी लगवा दिए। यहां तक कि किसान समुदाय का अपमान करने के लिए प्रदर्शनकारियों को खालिस्तानी और आतंकवादी तक कहा।" RLD नेता ने आरोप लगाया कि दिल्ली में जारी किसान आंदोलन के दौरान 200 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं लेकिन सरकार उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है और किसान समुदाय का केवल अपमान कर रही है।
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