लखनऊ: राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार की हिमायत में उत्तर प्रदेश की दो बड़ी सियासी ताकतों समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का एक मंच पर आना सूबे में भाजपा विरोधी ताकतों को एकजुट करने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार प्रदेश विधानसभा के पिछले चुनाव में हाशिये पर पहुंची सपा और बसपा के लिये राष्ट्रपति चुनाव प्रदेश की राजनीति में अपनी खोयी जमीन हासिल करने के लिहाज से एकजुट होने का मौका है। हालांकि 403 सदस्यीय उत्तर प्रदेश विधानसभा में 47 सीटों वाली सपा और महज 19 सीटों वाली बसपा के वोटों से राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, लेकिन इन दोनों दलों के एकजुट होने से यह संदेश जरूर जाएगा कि भाजपा के खिलाफ एक बड़ा गठजोड़ खड़ा होने की सम्भावना बनी हुई है।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रदेश अध्यक्ष अशोक सिंह का कहना है कि इससे जाहिर होता है कि विपक्ष भाजपा के खिलाफ एकजुट होने को मजबूर है। यह 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी भी है।
राजनीतिक विशेषज्ञ रमेश दीक्षित ने कहा कि अब यह स्पष्ट है कि लोकतंत्र खतरे में है और जो लोग लोकतंत्र तथा भारतीय संविधान को जिंदा देखना चाहते हैं, उन्हें एक मंच पर आना ही पड़ेगा। हमारे सामने इस समय जो खतरा है वह आपातकाल से भी ज्यादा बड़ा है।
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