मेरठ शहर प्राचीन नगर हस्तिनापुर का अवशेष है, जो महाभारत काल में कौरव राज्य की राजधानी थी। यह बहुत पहले गंगा नदी की बाढ़ में बह गयी थी। एक अन्य किवंदती के अनुसार रावण के श्वसुर मय दानव के नाम पर यहां का नाम मयराष्ट्र पड़ा।
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शहर पर पहला बड़ा आक्रमण मोहम्मद ग़ोरी द्वारा 1192 में हुआ। तैमूर लंग ने 1398 में मेरठ पर आक्रमण किया। मेरठ को अन्तर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि 1857 के विद्रोह से प्राप्त हुई। 24 अप्रैल,1857 को शुरू हुए विद्रोह में ही ब्रिटिश राज से मुक्ति पाने की पहली चिंगारी भड़क उठी, जिसे शहरी जनता का पूरा समर्थन मिला।
मेरठ का सर्राफा एशिया का नंबर एक का व्यवसाय बाजार है। मेरठ शहर कई तरह के उद्योगों के लिये प्रसिद्ध है।
मेरठ का ऐतिहासिक नौचंदी मेला हिन्दू – मुस्लिम एकता का प्रतीक है। हजरत बाले मियां की दरगाह एवं नवचण्डी देवी (नौचन्दी देवी) का मंदिर एक दूसरे के निकट ही स्थित हैं। मेले के दौरान मंदिर के घण्टों के साथ अज़ान की आवाज़ एक सांप्रदायिक आध्यात्म की प्रतिध्वनि देती है। यह मेला चैत्र मास के नवरात्रि त्यौहार से एक सप्ताह पहले से लग जाता है। होली के लगभग एक सप्ताह बाद और एक माह तक चलता है।
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