फूलपुर: उत्तर प्रदेश की सियासत पिछले कुछ महीनों के दौरान तेजी से बदली है। 2007 और 2012 के विधानसभा चुनावों में हाशिए पर रही भारतीय जनता पार्टी ने 2017 के चुनावों में प्रचंड बहुमत हासिल कर सूबे में अपनी सरकार बनाई। मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ ने शपथ ली जबकि उपमुख्यमंत्री की कुर्सी दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्य के हाथ आई। केशव प्रसाद मौर्य फूलपुर से लोकसभा सांसद थे, और उनके राज्य में मंत्री पद पर आसीन होने के बाद यह सीट खाली हो गई थी। 11 मार्च को इसी फूलपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए हैं जिसके नतीजे 14 मार्च को आने हैं।
उत्तर प्रदेश में दो लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, गोरखपुर और फूलपुर। गोरखपुर की सीट योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई थी। फुलपूर की बात करें तो कभी देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को लोकसभा में भेजने वाला यह इलाका आज फिर चर्चा के केंद्र में है। दरअसल, फूलपुर और गोरखपुर उपचुनावों को योगी सरकार के एक साल के कार्यकाल के लिटमस टेस्ट के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि उपचुनाव में हुई कम वोटिंग के चलते सभी दलों के माथे पर शिकन है। फूलपुर उपचुनाव में सिर्फ 37.39 प्रतिशत मतदान हुआ था।
फूलपुर में बीजेपी की तरफ से कौशलेंद्र पटेल चुनावी मैदान में हैं, जबकि समाजवादी पार्टी ने नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल और कांग्रेस ने मनीष मिश्रा ताल ठोक रहे हैं। आपको बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनावों में जहां कांग्रेस और समाजवादी पार्टी गठबंधन ने चुनाव लड़ा था वहीं उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को समर्थन देने की घोषणा की है। हालांकि 14 मार्च को उपचुनाव के नतीजे आने के बाद ही पता चल पाएगा कि समाजवादी पार्टी के साथ बसपा का गठजोड़ कितना कामयाब रहा है।
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