अकबर के नवरत्नों में एक राजा टोडरमल का महल किराएदारों के कब्जे में, वंशज परेशान
मुगल बादशाह जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर के नवरत्नों में शुमार और आर्थिक मामलों के गहरे जानकार राजा टोडरमल का प्रयागराज में स्थित महल अब जीर्ण अवस्था में है।
प्रयागराज: मुगल बादशाह जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर के नवरत्नों में शुमार और आर्थिक मामलों के गहरे जानकार राजा टोडरमल का प्रयागराज में स्थित महल अब जीर्ण अवस्था में है। महल का एक हिस्सा अंग्रेजों के हमलों में ढह गया और कुछ पर अब किराएदारों का कब्जा है। टोडरमल के वंशज आर्थिक तंगी के चलते इस ऐतिहासिक धरोहर की मरम्मत में असमर्थ हैं, लेकिन इसका अस्तित्व बचाए रखने के लिए फिक्रमंद हैं। भूमि बंदोबस्त और मालगुजारी व्यवस्था लागू करने वाले टोडरमल की 16वीं पीढ़ी के वंशज अरुण कुमार अग्रवाल ने को बताया, ‘हमारी दादी ने महल के कुछ कमरे किराए पर उठाए थे। किले के कमरों में अभी कुल 12 किराएदार हैं, इनमें कुछ किराएदार 70 साल पुराने हैं और 50-100 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से नाममात्र का किराया देते हैं। हम देश में अंग्रेजों के जमाने के किराएदारी कानून से बंधे हैं।’
1585 में पड़ी थी नींव
किले के ही एक हिस्से में रहने वाले अग्रवाल ने बताया कि गंगा नदी के तट पर दारागंज में सन् 1585 में टोडरमल ने महल की नींव डाली और 5 बरस में यह बनकर तैयार हुआ। 40 हजार वर्ग फुट इलाके में बने किले में आज भी नक्काशीदार पायों वाला आलीशान दरबार हाल, दीवान-ए-खास, दीवान-ए-आम और अस्तबल का वजूद बाकी है, लेकिन वक्त की मार ने इसकी रंगत बिगाड़ दी है। दूसरे तल पर बना दीवानखाना और राजा टोडरमल का कक्ष इस महल की शानो शौकत की भूली बिसरी यादों का गवाह है। यह ऐतिहासिक तथ्य है कि एक जमाने में महल में टोडरमल का सचिवालय चलता था। प्रथम खंड पर शस्त्रागार और मंत्री, सिपहसालार रहते थे।
कर्नल नील ने किया था हमला
12 जून 1857 को ब्रिटिश हुकूमत के अंतिम गवर्नर जनरल कर्नल नील ने इस किले पर हमला किया था। तब तोप के गोले दागकर पूरी गारद तो मारी ही गई, 6 में से 5 फाटक तोड़ डाले गए थे। तब से इस किले में दोबारा फाटक नहीं लगे। ब्रिटिश सेना ने महल में काफी लूटपाट भी की थी। अग्रवाल ने कहा, ‘हमारे पूर्वज टोडरमल की यह आखिरी निशानी है, जिससे हमारी स्मृतियां जुड़ी हैं। इसलिए हम इसे सरकार या किसी अन्य को नहीं देना चाहते।’ अग्रवाल एक समय सिविल लाइंस के एक होटल में महाप्रबंधक के तौर पर काम करते थे, लेकिन बीमारी के चलते उनकी नौकरी जाती रही और अब वह वैद्यकी से अपना जीवनयापन करते हैं।
शेरशाह सूरी ने बनाया राजा
अग्रवाल के 2 पुत्रों में से एक पुत्र किले के बाहरी हिस्से में परचून की दुकान चलाता है, जबकि दूसरा बेटा बेरोजगार है। अग्रवाल ने बताया कि आर्थिक तंगी की वजह से वह किले की टूटी दीवारों की मरम्मत कराने की स्थिति में नहीं हैं। पूर्व में कई होटल व्यवसायियों ने किले का पुनरुद्धार कराने की पेशकश की, लेकिन वो अंततः इसकी मिल्कियत हासिल करना चाहते थे, इसलिए हमने मना कर दिया। टोडरमल के राजा टोडरमल बनने की कहानी बयां करते हुए उन्होंने बताया, ‘अपने समय के दिग्गज बैंकर रहे टोडरमल, मुगल शासन में पहले हिंदू मंत्री बने जिन्हें शेरशाह सूरी ने अपना राजस्व मंत्री बनाया था। पेशावर से कलकत्ता तक 2,500 किलोमीटर लंबी सड़क तैयार कराने में टोडरमल की अहम भूमिका रही। इससे खुश होकर शेरशाह सूरी ने टोडरमल को झूंसी स्थित प्रतिष्ठानपुरी का राजा बना दिया।’
भूकंप से उलट गया प्रतिष्ठानपुरी का किला
प्रतिष्ठानपुरी का वह किला किसी समय भूकंप से उलट गया और अब यह उल्टा किला के नाम से मशहूर है। उन्होंने बताया कि शेरशाह सूरी ने इस सड़क का नाम सहर-राह-ए-आजम रखा और 300 साल तक यही नाम चला और 1840 के आसपास अंग्रेजों ने इसका नाम GT रोड रख दिया। बाद में इसका नाम शेरशाह सूरी मार्ग रख दिया गया।