नई दिल्ली: देशभर में रंगों का त्योहार होली अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है जिसे लेकर बच्चों से लेकर बूढ़े तक काफी उत्साहित रहते है। आमतौर पर बच्चे जहां पूरे साल होली खेलने को बेकरार रहते हैं और पिचकारी से लेकर रंगों की खरीदारी करते हैं लेकिन भारत में एक जगह ऐसी है जहां बच्चे रंगों के पर्व के दिन घरों में ही रहते हैं। ऐसा लगता है, मानो होली नहीं है। यहां सिर्फ महिलाएं ही होली खेलती है। औरतों के अलावा मर्दों और बच्चों तक को होली खेलने की इजाजत नहीं है।
जी हां, हम बात कर रहे है उत्तर प्रदेश के हमीरपुर के कुन्डरा गांव की। कुन्डरा गांव में पिछले कई सालों से अनोखी परंपरा चली आ रही है। इस परंपरा के मुताबिक, गांव का कोई मर्द या बच्चा होली नहीं खेल सकता है। होली में रंग खेलने के दिन गांव के पुरुष सदस्य रोजमर्रा की तरह खेती किसानी का कामकाज निपटाते हैं जबकि बालक साफ सुथरे घरों में रहते है। इस दिन पूरे गांव की महिलाएं रामजानकी मंदिर में एकत्र होती है और फाग गाने के बाद धूमधाम से होली खेलती है।
इस अजीबोगरीब परंपरा के पीछे ग्रामीणों का तर्क है कि तीस साल पहले होली के दिन गांव के रामजानकी मंदिर में जब ग्रामीण फाग गा रहे थे कि तभी क्षेत्र के एक इनामी डकैत मेम्बर सिंह ने गांव के ही रजपाल पाल (50) की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना का गांव वालों पर ऐसा असर हुआ कि लोगों ने होली मनाना बंद कर दिया। इस बात को लेकर महिलाओं ने काफी कोशिश की गांव में होली का त्यौहार फिर से शुरू हो जाए लेकिन गांव के पुरूषों ने महिलाओं की बात मनाने से इंकार कर दिया।
इसके बाद से महिलाओं ने निर्यण लिया कि वे होली खेलेंगी। इसके लिए वे गांव में बने रामजानकी मंदिर में एकत्र हुईं और होली की सभी रस्मों को निभाते हुए होली के त्यौहार को मनाना शुरू किया। इस होली में एक खात बात और देखने को मिलती है। गांव के बुजुर्गों से पर्दा करने वाली महिलाएं इस दिन घूंघट नहीं करती हैं। महिलाओं की टोली नाच गाने के साथ गांव के हर छोटे बडे मंदिर में जाती है। गांव की महिलाओं के परेशानी ना हो इसलिए गांव के सभी पुरुष खेतों पर चले जाते हैं।
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