नयी दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को कानपुर के रानिया और राखी मंडी में क्रोमियम कचरे का त्वरित निस्तारण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है, जो 1976 से अस्तित्व में हैं। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि क्रोमियम कचरे में जहरीले रसायन होते हैं और उसे शुद्ध करने के लिए संबंधित संयंत्र तक नहीं ले जाया गया है। इससे राज्य की विफलता के साथ ही संबद्ध अधिकारियों की ओर से संवेदनशीलता की कमी प्रदर्शित होती है। अधिकरण ने कहा कि अधिकारियों की विफलता के कारण लोक स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा बरकरार है क्योंकि कचरे को सफाई, भंडारण और निस्तारण संयंत्र ले जाने के बाद ही बचाव प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
पीठ ने कहा, ‘‘किसी न किसी बहाने से देरी के परिणामों की गंभीरता के संबंध में, हम उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को प्राथमिकता के आधार पर समयबद्ध तरीके से त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं और मुख्य सचिव द्वारा उसकी व्यक्तिगत रूप से निगरानी की जा सकती है।" एनजीटी ने कहा कि उसके द्वारा गठित समिति इस निर्देश के अनुपालन की देखरेख कर सकती है और अपनी स्वतंत्र रिपोर्ट ई-मेल से दे सकती है। समिति के अध्यक्ष इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस वी एस राठौर हैं।
पीठ ने कहा, "यह स्पष्ट किया गया है कि उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा आगे और किसी चूक पर अधिकरण के पास दंडात्मक कदम उठाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं हो सकता है। 31 अक्टूबर 2020 को अनुपालन स्थिति रिपोर्ट ई-मेल द्वारा अगली तारीख से पहले सौंपी जा सकती है।" मामले में सुनवाई की अगली तारीख आठ जनवरी है। अधिकरण ने इससे पहले कानपुर में रनिया और राखी मंडी में खतरनाक क्रोमियम युक्त दूषित जल गंगा नदी में बहाए जाने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगायी थी। इसके साथ ही एनजीटी ने प्रदूषण फैलाने के लिए चमड़े के 22 कारखानों पर 280 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
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