लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर कारागारों से भीड़ कम करने के लिये कैदियों को पैरोल पर छोड़ने के उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर अब तक 17,963 बंदियों को छोड़ा है। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने शुक्रवार को यहां बताया कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर 25 जून तक विभिन्न कारागारों से 17,963 कैदी पैरोल पर छोड़े गये हैं। इस तरह लगभग 15 से 17 प्रतिशत कैदी छोड़े गये हैं।
उन्होंने बताया कि बाल संरक्षण गृहों में बंद बच्चों में से 665 को किशोर न्याय बोर्ड की अनुमति से पैरोल पर छोड़ा गया है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने मार्च में कोरोना वायरस महामारी का दायरा बढ़ने के बीच जेलों में भीड़ कम करने के मकसद से सात साल से कम की सजा वाले कैदियों को पैरोल पर छोड़ने पर विचार करने को कहा था। अवस्थी ने बताया कि प्रदेश में 53 अस्थायी कारागार बनाये गये हैं जिनमें 3380 भारतीय और 63 विदेशी कैदी रखे गये हैं।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में अब तक 1658 ट्रेनों के माध्यम से 22 लाख 37 हजार 254 प्रवासी लोग आ चुके हैं। अन्य प्रदेशों में श्रमिकों को भेजने का काम पूरा हो चुका है। कुल 82 ट्रेनों से एक लाख 42 हजार 767 लोग अपने घर जा चुके हैं। अवस्थी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान' के आगाज के मौके पर वीडियो कांफ्रेंस के जरिये प्रदेश के सिद्धार्थनगर में कुर्बान अली से बात की।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने इसके अलावा गोंडा में विनीता पाल से, बहराइच में तिलकराम से, गोरखपुर में नागेन्द्र सिंह, संत कबीरनगर में रामचंद्र और अमरेन्द्र सिंह से बात की। साथ ही जालौन में बुंदेलखण्ड एक्सप्रेसवे पर एक श्रमिक से बात करके कार्य प्रगति का जायजा लिया।
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