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UP election 2017: निशानेबाज उम्मीदवार अब्बास के निशाने पर हैं दो लक्ष्य

घोसी (मउ): अपने बाहुबली राजनेता पिता मुख्तार अंसारी की पहचान से अलग निशानेबाज़ी जगत में नाम कमाने वाले अब्बास अंसारी के निशाने पर इन दिनों दो लक्ष्य हैं। पहला, उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट

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घोसी (मउ): अपने बाहुबली राजनेता पिता मुख्तार अंसारी की पहचान से अलग निशानेबाज़ी जगत में नाम कमाने वाले अब्बास अंसारी के निशाने पर इन दिनों दो लक्ष्य हैं। पहला, उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट जीतना और दूसरा, पूर्वांचल में मुस्लिम समुदाय को बसपा के पक्ष में एकजुट करना। कई जघन्य आपराधिक मामलों में जेल में बंद मुख्तार अंसारी के 25 वर्षीय बेटे और राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज अब्बास मउ जिले की घोसी विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें भरोसा है कि मउ से मौजूदा विधायक उनके पिता ने क्षेत्र के लिये जो काम किया है, उसके बलबूते वह अपनी चुनावी नैया पार लगा लेंगे। 

शूटिंग रेंज से निकलकर सियासत के मैदान में उतरे अब्बास का मकसद सबसे युवा विधायक के रूप में विधानसभा में प्रवेश करना है। उनका कहना है मुझे यकीन है कि मैं चुनाव जीत जाउंगा। मेरे पिता ने जेल में होने के बावजूद क्षेत्र के लोगों के लिये बहुत काम किया है। मेरे दो लक्ष्य हैं। एक तो घोसी सीट जीतना और दूसरा बसपा के पक्ष में मुस्लिम समुदाय को एकजुट करना। 

घोसी सीट पर अब्बास का मुख्य मुकाबला भाजपा के फागू सिंह चौहान और सपा के सुधाकर सिंह से है। अब्बास को यकीन है कि उन्हें हिन्दुओं, मुसलमानों, पिछड़ों और दलितों का पूरा समर्थन मिल रहा है। उन्होंने कहा हमारे यहां धर्म और जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। हमारे पास जो भी आता है, हम उसकी मदद करते हैं। 

अब्बास चार बार निशानेबाजी के राष्ट्रीय चैम्पियन रह चुके हैं। 

घोसी सीट पर करीब 75 हजार मुस्लिम तथा इतने ही दलित मतदाता हैं। इसके अलावा अगड़ी जाति के करीब 70 हजार और राजभर जाति के लगभग 60 हजार मतदाता हैं। 

हाल में एक मंदिर में दर्शन के लिये जाने को लेकर उलमा द्वारा आलोचना के बारे में पूछे जाने पर अब्बास ने कहा कोई अपने विचारों को मुझ पर थोप नहीं सकता। मैं वही करता हूं, जो मुझे सही लगता है। सैकड़ों हिन्दू भाई मेरे पिता को सिर्फ इसलिये वोट देते हैं क्योंकि उन्होंने उनके मुश्किल वक्त में उनकी मदद की थी। चूंकि वे हमारे साथ रहते हैं, इसलिये हम भी उनके साथ रहते हैं। 

अब्बास के पिता जहां मउ सदर सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं उनके चाचा सिबगतउल्ला अंसारी मुहम्मदाबाद यूसुफपुर सीट से बसपा के ही टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। 

अपने पिता मुख्तार अंसारी की दागी छवि के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उनके पिता के बारे में जो बातें सामने लायी जा रही हैं, वे ज्यादातर मीडिया की देन हैं। क्षेत्र के 90 प्रतिशत से ज्यादा लोग मानते हैं कि मुख्तार अच्छे इंसान हैं। इससे बड़ा प्रमाणपत्र और कोई नहीं हो सकता। 

उन्होंने वर्ष 2011 में निशानेबाजी करियर की शुरआत की थी और जर्मनी तथा फिनलैंड में हुई निशानेबाजी विश्व स्पद्र्धा में तारीफ बटोरी थी। हालांकि वर्ष 2014 में एक सड़क हादसे के बाद उनका सफर रक सा गया। हालांकि उनकी निगाह वर्ष 2020 में होने वाले टोक्यो ओलम्पिक के लिये क्वालीफाई करने पर भी लगी है। 

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