शाहजहांपुर. उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में मशहूर 'जूता मार होली' के मद्देनजर दर्जनों मस्जिदों और मजारों को तिरपाल से ढक दिया गया है। जूता मार होली एक सदियों पुरानी परंपरा है, जिसमें लगभग आठ किलोमीटर की दूरी से एक जुलूस निकाला जाता है, जिसे 'लाट साहेब का जुलूस' कहा जाता है। इसे पहले 'नवाब साहेब का जुलूस' के नाम से जाना जाता था।
यहां लाट साहेब के तौर पर एक आदमी को बैलगाड़ी में लगी एक कुर्सी पर बिठाया जाता है और जैसे-जैसे जुलूस आगे बढ़ता जाता है, लोग उसे जूते और झाड़ू से मारते जाते हैं। इस शख्स को हेलमेट पहनाया जाता है, जिससे उसकी रक्षा हो सके और पहचान भी छिपाई जा सके।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजय कुमार ने कहा, "होली के दिन यहां दो जुलूस निकाले जाते हैं - लाट साहब का जूलूस और फिर छोटा लाट साहब का जूलूस। कोई नहीं जानता कि इसकी परंपरा कैसे शुरू हुई, लेकिन यह अब 100 साल से अधिक पुरानी है। कई बार जुलूस में फेंके गए जूते मस्जिदों में जाकर गिर जाते हैं इसलिए किसी भी सांप्रदायिक तनाव को रोकने के लिए हमने मस्जिदों को कवर करना शुरू कर दिया है।"
ये दो जुलूस जिन रास्तों से होकर निकलते हैं, वहां सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई है और उपद्रवियों पर नजर रखी जा रही है ताकि कोई हंगामा खड़ा न हो।
पढ़ें- Holi: RAF और PAC के सुरक्षा घेरे में ‘लाट साहब’
Latest Uttar Pradesh News