लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार के सभी ग्राम पंचायतों में ग्राम पंचायत कार्यालय/ग्रामीण सचिवालय की स्थापना की जाएगी और प्रत्येक ग्राम सचिवालय में एक सहायक/कंप्यूटर ऑपरेटर की तैनाती की जाएगी। यह फैसला बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में लोकभवन में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। मुख्यमंत्री ने पूरी प्रक्रिया 6 माह में पूरी करने के निर्देश दिए हैं।
राज्य सरकार के प्रवक्ता और खादी ग्रामोद्योग मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में ग्राम सचिवालय की स्थापना, प्रत्येक ग्राम पंचायत में पंचायत सहायक/एकाउंटेंट-कम-डाटा एंट्री ऑपरेटर के चयन एवं तैनाती तथा इन पर होने वाले व्यय को वित्त आयोग, मनरेगा, ग्राम निधि एवं योजनाओं के प्रशासनिक मद में अनुमन्य धनराशि से व्यय किये जाने के प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद ने अपनी स्वीकृति दे दी है।
सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि ग्राम पंचायतों में 58,189 पंचायत सहायक/एकाउंटेंट सह डाटा एंट्री ऑपरेटर की तैनाती होगी, जिससे प्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन होगा। पंचायत सहायक/एकाउंटेंट कम डाटा एंट्री ऑपरेटर को 6,000 रुपये प्रतिमाह मानदेय देय होगा। सिंह के मुताबिक 58,189 ग्राम पंचायतों के सापेक्ष अभी तक लगभग 16,000 ग्राम पंचायत अधिकारी व ग्राम्य विकास अधिकारी के पद सृजित हैं, जिसके सापेक्ष लगभग 10,000 कर्मचारी कार्यरत हैं। उन्होंने दावा किया कि प्रदेश में पहली बार ग्रामीण सचिवालय की स्थापना की जा रही है।
उत्तर प्रदेश में 58,189 ग्राम पंचायतें हैं, जो त्रिस्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है, परन्तु प्रदेश में अभी तक ग्राम पंचायतें अपना कार्यालय स्थापित कर इसे व्यवस्थित रूप से चलाने में असमर्थ रही हैं जबकि शासन की सभी महत्वपूर्ण योजनाएं ग्राम पंचायतों के माध्यम से अथवा ग्राम पंचायतों के सहयोग से ग्रामीण क्षेत्रों में क्रियान्वित होती हैं। सिद्धार्थनाथ ने बताया कि 33,577 ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन पूर्व से निर्मित हैं तथा 24,617 पंचायत घर निर्माणाधीन हैं। इन पंचायत भवनों में आवश्यकतानुसार मरम्मत व विस्तार की कार्रवाई की जा रही है।
सिद्धार्थनाथ ने कहा कि पहले से बन चुके ग्रामीण सचिवालयों को सुसज्जित करने के लिए पौने दो लाख रुपये (प्रति सचिवालय) की धनराशि अनुमन्य की गई है। उन्होंने बताया कि पंचायत कार्यालय में जनसेवा केन्द्र की स्थापना की जाएगी। इस पर कुल 4 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी। पंचायत कार्यालयों में विभिन्न योजनाओं/स्रोतों से प्राप्त होने वाली धनराशि का विवरण/निर्गत आदेश, बीपीएल परिवारों की सूची, विभिन्न योजनाओं के पात्र लाभार्थियों की सूची, जन्म-मृत्यु पंजीकरण प्रपत्र, ग्राम पंचायत के आय-व्यय से सम्बन्धित पुस्तिका उपलब्ध रहेगी। (भाषा)
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