घोड़ी छोड़ पैदल ही बारात लेकर चला दूल्हा, किसान आंदोलन के साइड इफेक्ट
किसान आंदोलन की वजह से आम जनता को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मेरठ से दिल्ली आने वाले रास्ते पर बाधा होने की वजह से दूल्हा और पूरी बारात पार्टी को वाहनों से उतरकर पैदल ही लंबी दूरी तय करनी पड़ी।
मेरठ: कृषि कानून के विरोध में हरियाणा और पंजाब के किसानों की तरह अब उत्तर प्रदेश के किसान भी देशव्यापी प्रदर्शन का हिस्सा बन गए हैं। पश्चिमी यूपी के मेरठ के किसान भी दिल्ली की तरफ बढ़ रहे हैं जिन्हें रोकने के लिए दिल्ली से सटी सभी सीमाओं पर एहतियात के तौर पर पुलिस की तैनात की गई है और कई रास्ते बंद कर दिए हैं। किसान आंदोलन की वजह से आम जनता को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जगह-जगह पुलिस बैरिकेडिंग का खामियाजा आज एक दूल्हे को उठाना पड़ा। दूल्हा और पूरी बारात को रास्ता बंद होने की वजह से पैदल ही चलना पड़ा। मेरठ से दिल्ली आने वाले रास्ते पर बाधा होने की वजह से दूल्हा और पूरी बारात पार्टी को वाहनों से उतरकर पैदल ही लंबी दूरी तय करनी पड़ी।
वहीं, आपको बता दें कि दिल्ली मेट्रो ने भी शुक्रवार को केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा 'दिल्ली चलो' मार्च के मद्देनजर ग्रीन लाइन पर छह मेट्रो स्टेशनों पर निकास और प्रवेश द्वार बंद करने की घोषणा की। डीएमआरसी ने ट्वीट किया, ‘‘ग्रीन लाइन पर ब्रिगेडियर होशियार सिंह, बहादुरगढ़ सिटी, पंडित श्री राम शर्मा, टीकरी बॉर्डर, टीकरी कलां और घेवरा स्टेशनों के प्रवेश और निकास द्वार अब बंद कर दिए गए हैं।”
दिल्ली मेट्रो अधिकारियों ने पहले घोषणा की थी कि पड़ोसी शहरों की सेवाएं शुक्रवार को निलंबित रहेंगी। डीएमआरसी ने कहा था, ‘‘दिल्ली पुलिस के परामर्श के अनुसार, मेट्रो सेवाएं केवल दिल्ली से एनसीआर खंडों की ओर उपलब्ध होंगी। हालांकि अगली सूचना तक सुरक्षा कारणों से एनसीआर स्टेशनों से दिल्ली की ओर से सेवाएं उपलब्ध नहीं होंगी लेकिन दिल्ली से एनसीआर खंडों की ओर उपलब्ध होंगी।” ‘दिल्ली चलो’ मार्च के तहत सिंघु बॉर्डर पर पहुंचे किसानों के एक समूह को तितर-बितर करने के लिए दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को आंसू गैस के गोले दोगे। दिल्ली और हरियाणा को जोड़ने वाली सीमा पर नरेला में किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे गए। सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और रेत से भरे ट्रक तथा पानी के टैंक भी वहां तैनात हैं।
प्रदर्शनकारियों को शहर में प्रवेश करने से रोकने के लिए सिंघु बॉर्डर पर बाड़ लगाने के लिए कांटेदार तार का भी उपयोग किया गया है। तीस से अधिक किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले पंजाब के किसानों ने घोषणा की थी कि वे लालडू, शंभु, पटियाला-पिहोवा, पातरां-खनौरी, मुनक-टोहाना, रतिया-फतेहाबाद और तलवंडी-सिरसा मार्गों से दिल्ली की ओर रवाना होंगे। सभी सीमाओं पर तनाव कायम है। ‘दिल्ली चलो’ मार्च के लिए किसान अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर राशन और अन्य आवश्यक सामान के साथ एकत्रित हो गए हैं। हरियाणा सरकार ने किसानों को प्रदर्शन के लिए एकत्रित होने से रोकने के लिए कई इलाकों में सीआरपीसी की धारा 144 भी लागू कर दी है। किसान नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि नये कानून से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।