लखनऊ। लंबे समय से बीमार चल रहे वरिष्ठ शिया धर्मगुरु और इस्लामिक स्कॉलर मौलाना डॉक्टर कल्बे सादिक का मंगलवार (24 नवंबर) को लखनऊ के एरा हॉस्पिटल में निधन हो गया है। बता दें कि, 83 वर्षीय सादिक को 17 नवंबर को सांस लेने में दिक्कत और निमोनिया के चलते लखनऊ के एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था और उन्हें अस्पताल में वेंटीलेटर सपोर्ट पर रखा गया था।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धर्म गुरु मौलाना कल्बे सादिक के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।
मौलाना सादिक के बेटे कल्बे सिब्तैन नूरी ने बताया कि उनके पिता ने लखनऊ स्थित एरा अस्पताल में रात करीब 10 बजे अंतिम सांस ली। कैंसर, गंभीर निमोनिया और संक्रमण से पीड़ित मौलाना सादिक पिछले करीब डेढ़ महीने से अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें पिछले मंगलवार को तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उसके बाद से उनकी हालत बिल्कुल नहीं संभली। अस्पताल द्वारा जारी मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक मंगलवार को उनकी हालत और भी बिगड़ गई थी और देर रात उनका निधन हो गया। मौलाना कल्बे सादिक दुनिया भर में अपनी उदारवादी छवि के लिए जाने जाते थे।
गौरतलब है कि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक देश के सबसे बड़े शिया मज़हबी रहनुमा थे और उनकी शिया सुन्नियों को एक करने की कोशिशों को हमेशा याद किया जाएगा। इसके अलावा तालीमी मैदान में भी उन्होंने अथक मेहनत की है। कहा यह भी जाता है कि मौलना कल्बे सादिक उर्दू बोलने वाले दुनिया के सबसे बड़े शिया धर्मगुरु थे।
देश-विदेश में ख्यातिप्राप्त डॉ. सादिक शिक्षा और खासकर लड़कियों व निर्धन बच्चों की शिक्षा के लिए हमेशा सक्रिय रहे। यूनिटी कालेज और एरा मेडिकल कालेज के संरक्षक भी थे। डॉ. कल्बे सादिक को पूरी दुनिया आपसी भाईचारे और मोहब्बत का पैगाम देते शिया धर्म गुरु के रूप में जानती है। उन्होंने हर बात में शिक्षा को भी बढ़ावा दिया। विदेशों में मजलिस पढ़ने जाते थे और मोहब्बत का पैगाम देते थे।
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