प्रयागराज: अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि सोमवार को यहां स्थित अपने बाघंबरी गद्दी मठ में मृत मिले। नगर पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि महंत की मृत्यु फांसी लगने से हुई है। इस मामले में मामले में एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि महंत नरेंद्र गिरि के कमरे में 5 पन्नों का सुसाइड नोट मिला है जिसमें महंत के शिष्य आनंद गिरी की प्रताड़ना से परेशान होकर यह कदम उठाने की बात लिखी है। उनका कहना है कि शव को महंत नरेंद्र गिरी के अनुयायिओं द्वारा दरवाजा तोड़ कर फंदे से उतारा गया है। महंत नरेंद्र गिरि की मौत पर प्रयागराज के आईजी केपी सिंह ने बताया कि सुसाइड नोट में कई तरह की बातों का जिक्र किया गया है।
सुसाइड नोट को वसीयतनामा की तरह लिखा है
IG रेंज केपी सिंह ने बताया कि सुसाइड नोट को उन्होंने वसीयतनामा की तरह लिखा है, इसमें शिष्य आनंद गिरि का भी जिक्र है। नरेंद्र गिरी ने अपने सुसाइड नोट में किस शिष्य को क्या देना है? कितना देना है, इन सब का जिक्र भी किया है। सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि वह अपने कुछ शिष्यों के व्यवहार से बहुत ही आहत और दुखी हैं और इसीलिए वह सुसाइड कर रहे हैं। पहली नजर में यह सुसाइड का ही मामला समझ में आ रहा है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पोस्टमार्टम से मौत की वजह साफ होगी। सुसाइड नोट की हैंड राइटिंग की भी जांच होगी।
पुलिस ने मठ को कब्जे में लिया
फिलहाल मठ को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है। मठ के रास्ते को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। जिलाधिकारी संजय खत्री आईजी केपी सिंह, डीआईजी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी पहुंच गए हैं।
मठ पर बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे
मठ पर बड़ी संख्या में भक्त और श्रद्धालु भी पहुंच गए हैं। अनुयाई और श्रद्धालु इस बात पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि उन्होंने आत्महत्या क्यों की? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम योगी, डिप्टी सीएम केशव मौर्य आदि ने निधन पर गहरा शोक जताया है।
आनंद गिरि ने इस घटना को कत्ल करार दिया
उधर शिष्य आनंद गिरि ने इस घटना को कत्ल करार दिया है और कहा कि यह बड़ी साजिश है। उन्हें प्रताडित कर मरने के लिए मजबूर किया गया और उन्हें मेरा नाम सुसाइड नोट में लिखने के लिए मजबूर किया गया। मैंने तो माफी मांग ली थी और गुरू जी ने माफ भी कर दिया था। इस घटना की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। मैंने खुद और गुरू जी की हत्या की आशंका जाहिर की थी। आनंद गिरि ने पुलिस के एक बड़े अधिकारी और एक भू- माफिया को इस साजिश के पीछे बताते हुए जांच कराने की बात कही है।
बता दें कि निरंजनी अखाड़े से निष्कासित योग गुरु आनंद गिरि और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के विवादों के बीच मठ-मंदिरों की जमीनों को लेकर भी घमासान काफी सुर्खियों में रहा। स्वामी आनंद गिरि ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री को पत्र भेजकर अखाड़े के विवाद की जानकारी दी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि शहर के कीडगंज में स्थित गोपाल मंदिर भी आधा बेच दिया गया है। मठ और मंदिर की बेची गई जमीनों के करोड़ों रुपये के दुरुपयोग की उच्चस्तरीय जांच कराई जानी चाहिए। साथ ही उन्होंने संगम स्थित बड़े हनुमान मंदिर के लाखों रुपये के चढ़ावे और प्रसाद से होने वाली बेहिसाब आमदनी की भी जांच कराने की मांग है।
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