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पटाखों से जहरीली हुई लखनऊ की हवा, बढ़ी डॉक्टरों के पास आने वाले मरीजों की तादाद

इस वक्त लखनऊ की सड़कों पर सब तरफ धुंध छाई हुई है। प्रदूषण इतना है कि सांस लेना मुश्किल है। डॉक्टरों का कहना है कि दिवाली पर जलाए गए पटाखों की वजह से हुए प्रदूषण के कारण मरीज़ों की तादाद बढ़ गई है। 

Lucknow air quality index pollution causes increase in patients पटाखों से जहरीली हुई लखनऊ की हवा, बढ- India TV Hindi Image Source : PTI Representational Image

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की हवा दिवाली के पटाखों से ज़हरीली हो गई है। प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ गया है कि सांस लेना मुश्किल हो रहा है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (IITR) ने दिवाली के बाद हुए प्रदूषण पर रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक, लखनऊ में दिवाली के पटाखों ने शहर में  PM10 का लेवल 1084 माइक्रोग्राम घन मीटर तक पहुंचा दिया जो मानक से दस गुना ज्यादा रहा।
   
इस वक्त लखनऊ की सड़कों पर सब तरफ धुंध छाई हुई है। प्रदूषण इतना है कि सांस लेना मुश्किल है। डॉक्टरों का कहना है कि दिवाली पर जलाए गए पटाखों की वजह से हुए प्रदूषण के कारण मरीज़ों की तादाद बढ़ गई है। शहर में बढ़ते प्रदूषण से लोगों को खांसी आ रही है, आंख में जलन हो रही है और बड़ी संख्या में लोगों सांस लेने में तकलीफ भी हो रही है। दिवाली के पटाखों से हुए इस प्रदूषण से सब परेशान है।

IITR के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट से साफ है कि धुआंदार और शोर वाली दिवाली का असर लखनऊ के लोगों पर बहुत दिन तक रहेगा। आइए आपको बताते हैं केंद्र सरकार के संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (IITR) के वैज्ञानिकों द्वारा दिवाली के बाद लखनऊ की हवा की जांच के क्या नतीजे सामने आए।

लखनऊ शहर के विभिन्न इलाकों में पीएम 2.5

  1.  गोमतीनगर में 725.2 माइक्रोग्राम/घन मीटर 
  2.  इंदिरा नगर में 725.2 माइक्रोग्राम/घन मीटर 
  3. अमीनाबाद में 810.9 माइक्रोग्राम/घन मीटर 
  4. चारबाग में 833.3 माइक्रोग्राम/घन मीटर

मानकों के मुताबिक PM 2.5 का लेवल 60 माइक्रोग्राम/घन मीटर से ज़्यादा नही होना चाहिए।

IITR की रिपोर्ट के मुताबिक शहर के विभिन्न इलाकों में PM 10 का लेवल

  1. गोमतीनगर इलाके मे 1084.2 माइक्रोग्राम/घन मीटर
  2. अमीनाबाद में 959 माइक्रोग्राम/घन मीटर
  3. आलमबाग में 915.3 माइक्रोग्राम/घन मीटर
  4. चारबाग में 1003.7 माइक्रोग्राम/घन मीटर

मानकों के मुताबिक 100 माइक्रोग्राम/घन मीटर से ज़्यादा नही होना चाहिए। 

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