Lockdown: 'अस्थि कलश बैंक' दिखाएगा मोक्ष की राह
कानपुर के भैरव घाट स्थित बनाया गया 'अस्थि कलश बैंक' मृत आत्मा को मोक्ष की राह पहुंचाने के कार्य में जुटा है। यहां मृतक लोगों की अस्थियों को सुरक्षित रख लॉकडाउन के बाद विसर्जित करने की सुविधा को बैंक बनाया गया है।
कानपुर: कोरोना के प्रकोप से बचाने के लिए देश में दूसरे चरण का लॉकडाउन शुरू हो गया है। ऐसे में अन्तेष्टि करने वालों के लिए मृत आत्माओं की अस्थियों का जल प्रवाह करना नामुमकिन सा हो गया है। वाराणसी, मथुरा, अयोध्या, हरिद्वार सरीखे स्थलों पर अपने पूर्वजों की अस्थियों को विसर्जित करने की इच्छा रखने वालों को यह सौभाग्य नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में कानपुर के भैरव घाट स्थित बनाया गया 'अस्थि कलश बैंक' मृत आत्मा को मोक्ष की राह पहुंचाने के कार्य में जुटा है। यहां मृतक लोगों की अस्थियों को सुरक्षित रख लॉकडाउन के बाद विसर्जित करने की सुविधा को बैंक बनाया गया है।
परंपराओं के मुताबिक मौत के बाद अस्थियों को घरों में भी नहीं रखा जा सकता है। ऐसे में यह बैंक काफी सहायक हो रहा है। 2014 में कानपुर के भैरव घाट में बना पहला अस्थि कलश बैंक की स्थपना युग दधीचि देहदान संस्थान कानपुर के संस्थापक मनोज सेंगर ने की थी। यह बैंक अंत्येष्टि करने वाले उन लोगों के लिए सहायक साबित हो रहा है जो लॉकडाउन के कारण अस्थियों विभिन्न तीर्थ क्षेत्रों पर विसर्जन के लिए नहीं ले जा पा रहे है। वह लोग इसी बैंक में अपनी अस्थियां जमा कर रहे हैं। लॉकडाउन समाप्त होंने पर यहां से कलश लेकर अपने स्थान पर प्रवाहित कर सकते हैं।
कलश बैंक के संस्थापक मनोज संेगर ने आईएएनएस को बताया, "लॉकडाउन के समय इसके माध्यम से लोग जो भी अपने स्वजनों की अस्थियों को तीर्थ क्षेत्रों में विसर्जित करना चाहते हैं] वह यहां पर नि:शुल्क अस्थियां जमा कर सकते हैं। अस्थि जमा करने वाले को एक कार्ड दे दिया जाता है। जिसमें एक नंबर लिखा होता है। कार्ड दिखाने पर वह अपनी अस्थियों को आराम से प्राप्त कर सकता है। लॉकर में ताले चाभी की भी व्यवस्था की गयी है।लॉकडाउन की अवधि के दौरान अभी तक 60-65 कलश आए हुए हैं। बीच-बीच में कुछ लोग ले भी गये हैं।"
सेंगर ने बताया, "यह देश का पहला बैंक जिसमें अस्थियां सुरक्षित रहती है। 2014 में स्थापित यह बैंक समन्वय सेवा समिति के संयोजक संतोष अग्रवाल के सयोग से संचालित हो रहा है।" उन्होंने बताया कि जो किन्ही कारण से अपनी अस्थियां लेने नहीं आ पाते संस्थान द्वारा एक वर्ष में उनका विसर्जन कर दिया जाता है। इसके अलावा लावरिस लाशों की अस्थियों को भूविसर्जन किया जाता है। ताकि गंगा प्रदूषित न हो।
अस्थि कलश की देखरेख करने वाले छेदीलाल ने बताया कि वर्तमान समय में गोविन्द नगर, सिविल लाइन्स, गुमटी, मालरोड, पी रोड, ग्वालटोली, जनरलगंज, बिरहाना रोड, के निवासियों ने यहां पर अपने स्वजनों की अस्थियां रखी है। जो लॉकडाउन के बाद विभिन्न तीर्थ क्षेत्रों में विसर्जित करना चाहते हैं।