गीत और एक झूम के गा लूं तो चलूं....गोपालदास नीरज पंचतत्व में विलीन
मशहूर कवि , गीतकार पद्मभूषण गोपालदास नीरज का अंतिम संस्कार आज अलीगढ़ में पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ किया गया।
अलीगढ़ / आगरा: मशहूर कवि , गीतकार पद्मभूषण गोपालदास नीरज का अंतिम संस्कार आज अलीगढ़ में पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ किया गया। प्रदर्शनी मैदान के पास स्थित श्मशान घाट पर उन्हें प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। पूर्व में नीरज की इच्छा के मुताबिक उनके पार्थिव शरीर को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज को दान किया जाना था। लेकिन लगातार खराब स्वास्थ्य के कारण उनके विभिन्न अंग इस स्थिति में नहीं रह गये थे कि उन्हें चिकित्सा शोध कार्य में इस्तेमाल किया जाता। लिहाजा, परिजन ने ऐन वक्त पर अंतिम संस्कार का फैसला किया।
गौरतलब है कि गोपालदास नीरज का 19 जुलाई को दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया था। उन्हें तबियत खराब होने के बाद आगरा से दिल्ली रेफर किया गया था। गोपाल दास नीरज के पार्थिव शरीर को सुबह दिल्ली से आगरा ले जाया गया। यहां सुबह आठ बजे सरस्वती नगर बल्केश्वर मे उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत कई नेताओं ने उन्हें यहां श्रद्धांजलि दी। अखिलेश यादव ने कहा कि अपने गीतों के माध्यम से नीरज हमेशा अमर रहेंगे। समाजवादी पार्टी के प्रदेश की सत्ता में आने के बाद नीरज की स्मृति में इटावा स्थित उनके गांव को यादगार बनाया जाएगा। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में भी नीरज को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने इस महान कवि को हिन्दुस्तान के साम्प्रदायिक सौहार्द , सहिष्णुता और बहुलतावाद की समृद्ध धरोहर का प्रतीक करार दिया।
उन्होंने कहा कि नीरज ने जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज को अपना शरीर दान करने की वसीयत करके भी यह साबित किया कि मृत्यु के बाद भी वह मानवता के काम आने की तीव्र इच्छा रखते थे। उनके निधन से अपूरणीय क्षति हुई है। उर्दू के लेखक प्रोफेसर शैफी किदवई ने कहा कि नीरज का इस संस्थान के साथ भावनात्मक संबंध था। कवि कुमार विश्वास और हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा समेत तमाम गणमान्य लोग नीरज के दर्शनों के लिए पहुंचे।
आगरा में नीरज की अंतिम यात्रा में भी सैकड़ों लोग शामिल हुए। कवि सम्मेलन समिति द्वारा तैयार रथ में उनका पार्थिव शरीर रखा गया। इस दौरान उनके लिखे गीत ... ऐ भई जरा देखकर चलो .. गूंजते रहे। करीब एक किलोमीटर तक अंतिम यात्रा के बाद एंबुलेंस से नीरज की पार्थिव देह को अलीगढ़ ले जाया गया। हालांकि रथ पर अंतिम यात्रा को लेकर थोड़ा विवाद भी हुआ। नीरज के पुत्र मिलन प्रभात और नाती ने एंबुलेंस से पार्थिव देह को अलीगढ़ ले जाने को कहा ताकि वहां राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हो सके।