प्रयागराज: कुम्भ नगरी में आगामी 15 जनवरी से लगने जा रहे विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक कुम्भ मेले के लिए बुधवार को हाथी, घोड़े, ऊंट और बैंड बाजे के साथ श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा की पेशवाई निकली। पेशवाई में सोने-चांदी के हौदों पर अखाड़ा के महामंडलेश्वर और अन्य साधु संत सवार थे।
पेशवाई एक धार्मिक शोभा यात्रा है जिसमें अखाड़ों के आचार्य, पीठाधीश्वर, महामंडलेश्वर, साधु-संत और नागा साधुओं का एक बड़ा समूह हाथी, घोड़ा और ऊंट पर सवार होकर गंगा के किनारे बनी छावनी में पहुंचता है और पूरे मेले के दौरान वहां प्रवास करता है। पेशवाई निकालने से पूर्व अखाड़े के साधु संतों ने भारद्वाजपुरम स्थित बाघम्बरी गद्दी मठ में अखाड़े के आराध्य देवता भगवान शंकर के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय निरंजन देव और ध्वजा की पूजा अर्चना की जिसके बाद पेशवाई निकाली गई।
पेशवाई के बांध पर पहुंचने पर मंडलायुक्त आशीष गोयल, मेलाधिकारी विजय किरण आनंद, एसएसपी कुम्भ मेला केपी सिंह और अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा के सचिव एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का फूल मालाओं से स्वागत किया।
कुम्भ मेलाधिकारी विजय किरण आनंद ने पीटीआई भाषा को बताया, "आज श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े की पेशवाई का स्वागत करने का हमें सौभाग्य प्राप्त हुआ। हमारा सतत प्रयास है कि हम इस कुम्भ मेले को भव्य और दिव्य बनाने में हर बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराएं जिससे मेले में आने वाले सभी साधु संतों और श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो।"
इस अखाड़े की पेशवाई में सबसे आगे हाथी-घोड़े और ऊंट की सवारी करते हुए साधु संत निकले और इसके बाद अखाड़े की ध्वजा थी जिसके पीछे नागा सन्यासियों का समूह चला। नागा सन्यासियों के बाद आराध्य देवता भगवान कार्तिकेय की पालकी थी जिसके बाद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर श्री स्वामी बालकानंद गिरि जी महाराज सोने के हौदे पर विराजमान थे।
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