यूपी में पुलिस का माफियाओं के खिलाफ ऑपरेशन नॉनस्टॉप जारी, अब जय वाजपेयी नाम का क्रिमिनल राडार पर
अगर पुलिस ने विकास दुबे की धमकी को सीरियसली लिया होता तो बिकरु में 8 पुलिसवालों की जान नहीं जाती। हालांकि कानपुर वाले विकास दुबे का एनकाउंटर तो हो गया लेकिन माफियाओं के खिलाफ योगी की पुलिस का ऑपरेशन नॉनस्टॉप जारी है।
लखनऊ: अगर पुलिस ने विकास दुबे की धमकी को सीरियसली लिया होता तो बिकरु में 8 पुलिसवालों की जान नहीं जाती। हालांकि कानपुर वाले विकास दुबे का एनकाउंटर तो हो गया लेकिन माफियाओं के खिलाफ योगी की पुलिस का ऑपरेशन नॉनस्टॉप जारी है। पुलिस ने अब जय वाजपेयी नाम के क्रिमिनल को अपने राडार पर लिया है। जय वाजपेयी को गैंगस्टर दुबे का फाइनेंसर कहा जाता है। हमने जय की क्राइम और इनकम टैक्स दोनों फाइल निकाली हैं। अब तक जैसी कहानी हम सिर्फ फिल्मों में सुनते आए थे.. एकदम हुबहू वैसी स्टोरी है।
गैंग्स्टर विकास दुबे लोगों हत्या कर भूमाफिया बन चुका था लेकिन उन जमीनों को वैध बनाना बहुत बड़ी पहेली थी। ऐसे समझ लीजिए विकास दुबे का दिमाग जहां काम करना बंद करता था वहां जय वाजपेयी की दिमाग चलने लगता था और उसने कैसे विकास दुबे की अवैध जमीनों को कारोबार को संभाला। उसकी भी डिटेल जान लीजिए
जो भी विवादित ज़मीन या घर होते विकास दुबे जय के साथ मिलकर उन्हें औने पौने दाम में खरीद लेता जैसे डेढ़ करोड़ का बंगला है उसे 15 लाख में खरीदा। फिर विकास के गुर्गों ने बंगले पर कब्ज़ा कर डेढ़ करोड़ में बेंच दिया। विकास के पास के चौबेपुर और बिठूर इलाके में ज़मीन काफी महंगी है। यहां ज़मीन एक करोड़ बीघा तक है। यहां ज़मीनों में कब्ज़ा करना, ज़मीनों की खरीद फरोख्त में विकास का कट होता था। ये सब हिसाब जय वाजपेयी देखता था। जय वाजपेयी का दिमाग और विकास की ताकत का काकटेल ऐसा बना की पूरे कानपुर में इनकी तूती बोलने लगी।
- विकास की ठेकेदारी का कमीशन को मार्केट में डाल दिया
- चौबेपुर इंडस्ट्रीयिल एरिया से मिली लाकों की रंगदारी प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट की
- जय वाजपेयी के ज़रिए कानपुर की प्रॉपर्टीज में विकास का पैसा लगा
सच तो ये है कि विकास की करोड़ों की बेनामी प्रॉपर्टी है। जिसका एक-एक राज जय को पता हैऔर पुलिस अब सब बेनामी संपत्ति का पता लगा रही है जिसके बाद कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
जब-जब विकास दुबे पर मुसीबत आई जय वाजपेयी ने उसकी हरबार मदद की। जब विकास को यूपी पुलिस तलाश रही थी तब कानपुर के काकादेव थाने के विजय नगर इलाके में 5 जुलाई को तीन बिना नम्बर की गाड़ियां बरामद हुई थी, इनमे से एक fortuner, एक ऑडी, एक वरना गाड़ी थी, आशंका जताई गई थी विकास को भगाने में इन गाड़ियों की मदद ली गई थी। जय ने भी माना था कि ये तीनों गाड़ियां उसके दोस्तों की हैं।
जय बाजपेई ने इस मामले पर कहा था कि तीनों गाड़ी हमारे मित्रों अखिल, प्रमोद, राहुल के नाम से है। यह लोग मित्र है हमारे। अब सर हैं मित्र, हमारा लेन देन रहता है अब पब्लिक में नहीं बता सकते क्या लेन देन है।
वहीं गाड़िया विकास दुबे के भगाने में मदद करती है...मतलब रुतबे और रसूख में कोई कमी नहीं थी। जिसकी सबसे बड़ी वजह थी विकास दूबे की सरपरस्ती थी। लेकिन पुलिस की हथकड़ी चढ़ने के बाद बड़े बड़ों का टशन निकल जाता है। जय वाजपेयी को इसका एहसास हो चुका है। आगे सुनेंगे तो और भी हैरान हो जाएंगे कि 4 हजार की नौकरी करने वाला कितनी बड़ी संपत्ति का मालिका होगा। अब जरा उस बहीखाते भी देख लीजिए।...
2017 में जय वाजपेयी के खिलाफ कानपुर के कमीश्नर को एक शिकायत मिली थी जिसपर उस वख्त के डीएम ने जांच बैठाई थी जिसमे पता चला था कि जय वाजपेयी के कानपुर के सबसे पाश माने जाने वाले ब्रह्म नगर इलाके में 20 करोड़ रुपये के 6 फ्लैट्स है। इसके अलावा कानपुर के पनकी इलाके में 2 करोड़ का फ्लैट है। ब्रह्म नगर में एक फ्लैट 5 करोड़ की कीमत का है। इसी इलाके में जय वाजपेई का एक फ्लैट 2 करोड़ रुपये का है। ब्रह्म नगर में एक फ्लैट 3 करोड़ का है। इसके अलावा ब्रह्मनगर में जय वाजपेई का एक फ्लैट 2 करोड़ और एक तीन करोड़ का है। इसके अलावा कहा जाता है कि जय वाजपेयी का कानपुर के हर्ष नगर इलाके में फ्लैट है, पनकी में आठ और फ्लैट्स बताए जाते है और दुबई में भी फ्लैट है।
विकास दुबे का हाथ और जय वाजपेयी का साथ नतीजा ये हुआ कि जय वाजपेयी का धंधा ही विकास के नाजायज काम को जायज बनाना हो गया। जिसके चलते कानपुर के बजरिया थाने में जय वाजपेयी पर 307 का मुकदमा भी दर्ज है। इसबीच यूपी पुलिस ने जय वाजपेयी और विकास दुबे के पूरी क्राइम फाइल को डिकोड कर दिया है। जिसमें हैरान करने वाले खुलासे हुए है पुलिस को पता चला है कि जय वाजपेयी ने भागने में खुलकर विकास की मदद की थी।