A
Hindi News भारत उत्तर प्रदेश कौएद का BSP में विलय: अखिलेश को नुकसान या मायावती को फायदा?

कौएद का BSP में विलय: अखिलेश को नुकसान या मायावती को फायदा?

लखनऊ: इसमें कोई शक नहीं कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती राजनीतिक और वैचारिक रूप से नदी के दो किनारे हैं लेकिन माफिया-राजनेता मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल (कौएद) के बसपा

akhilesh mayawati- India TV Hindi akhilesh mayawati

लखनऊ: इसमें कोई शक नहीं कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती राजनीतिक और वैचारिक रूप से नदी के दो किनारे हैं लेकिन माफिया-राजनेता मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल (कौएद) के बसपा में विलय समेत हाल के घटनाक्रम ने इन दोनों छत्रपों की व्यक्तिगत छवि को भी आकलन के लिये जनता के सामने रख दिया है।

(देश-विदेश की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें)

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अंसारी के कौएद को सपा में विलीन किये जाने के अपने ही चाचा शिवपाल यादव और पिता मुलायम सिंह यादव के फैसले का डटकर विरोध किया। वहीं कानून-व्यवस्था के नाम पर सपा सरकार को घेरने का हर मौका भुनाने वाली मायावती को कौएद का बसपा में विलय कराने में कोई हिचक नहीं महसूस हुई।

अखिलेश एक ऐसी पार्टी से हैं, जिस पर अक्सर गुंडों, बदमाशों और अन्य अपराधियों को शरण देने का आरोप लगता रहा है। लेकिन उन्होंने वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में एक और माफिया-राजनेता डी. पी. यादव को सपा का टिकट देने से इनकार करके लोगों की नजर अपनी अलग छवि बनायी थी।

दूसरी ओर, चढ़ गुंडों की छाती पर, मुहर लगाएं हाथी पर का नारा देने वाली बसपा की मुखिया ने ना सिर्फ कौएद का बसपा में विलय कराया, बल्कि उसे तीन टिकट भी दे दिया, जिनमें मउ से माफिया मुख्तार का नाम भी शामिल है। अब इसे वक्त का तकाजा कहें या फिर मजबूरी, लेकिन मायावती के इस कदम ने उनके कट्टर समर्थकों को भी चौंका दिया।

कौएद का पूर्वांचल के कुछ जिलों में खासा दबदबा माना जाता है। सपा संस्थापक मुलायम भी इस पार्टी की इसी खूबी की वजह से उसे सपा का हिस्सा बनाना चाहते थे।

Latest Uttar Pradesh News