कैसे श्याम प्रताप सिंह बना उमर गौतम, 1000 लोगों के धर्मांतरण पर कबूलनामा!
कन्वर्जन टेप पहली बार कैमरे पर आया है। ये धर्मांतरण का ऐसा विस्फोटक टेप है, जिसमें कही एक-एक बात पैरों तले ज़मीन खिसकाने के लिए काफी है।
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में 'ऑपरेशन धर्म' चलाने वाला कौन है? धर्मांतरण का मुख्य आरोपी श्याम प्रताप सिंह गौतम से उमर गौतम कैसे और क्यों बना। उमर गौतम का नया वीडियो सामने आया है, जिसमें उसने ना सिर्फ एक हज़ार लोगों के धर्म परिवर्तन की बात कबूल की है बल्कि ये भी बताया है कि उसने मौलाना उमर गौतम बनके ना जाने कितने सौरभ शर्मा को मोहम्मद सूफियान बना दिया।
कन्वर्जन टेप पहली बार कैमरे पर आया है। ये धर्मांतरण का ऐसा विस्फोटक टेप है, जिसमें कही एक-एक बात पैरों तले ज़मीन खिसकाने के लिए काफी है। उमर गौतम ने AMU में एक भाषण के दौरान बताया, "मैं ये आपको बताना चाहूंगा, इशारे में तफ्शील में जाने का वक्त नहीं है कि एक साल तक वो मेरी खिदमत करते रहे मेरा एक्सीडेंट हुआ था और अखलाक से मोहब्बत से खिदमत से और दीन को बताते रहे समझाते रहे मेरे सवालात का जवाब देते रहे कभी उन्होंने डिस्कस नहीं किया कभी डायलॉग नहीं किया कभी डिबेट नहीं किया कभी आर्गुमेंट्स नहीं किए और कभी भी मुझे उन्होंने अहसास नहीं होने दिया कि वो मुझे मुसलमान बनाना चाहते हैं बल्कि एक साल के बाद मैंने खुद उनसे कहा कि मैं मुस्लिम बनना चाहता हूं।"
उमर गौतम वीडियो में आगे कहता है, "मुझे एक साल के बाद मालूम हो गया पढ़ने और समझने के बाद कि मुस्लिम वो है जो अल्लाह की बात मानता है और इस्लाम का मतलब है अल्लाह के प्रति खुद को सरेंडर कर दो और 1984 में उसी यूनिवर्सिटी में जब मैं बीएससी एग्रीकल्चर फाइनल ईयर का स्टूडेंट था तो अल्लाह ने मुझे इस्लाम की दौलत दी और मैंने अपना नाम श्याम प्रताप सिंह गौतम से मोहम्मद उमर रखा। मैंने तो कभी सोचा ही नहीं था कि मेरा नाम श्याम प्रताप सिंह गौतम से मोहम्मद उमर होगा और मैं नमाज़ पढ़ूंगा, रोज़े रखूंगा, हज करुंगा।"
उसने आगे कहा, "इसका मैंने कभी तस्सवुर नहीं किया था लेकिन अलहमदुलिल्लाह उस यूनिवर्सिटी में अल्लाह ने ये तौफीक दी और फिर मैंने अपने दोस्तों को दावत दी तो उसी यूनिवर्सिटी में अलहमदुलिल्लाह सात लोगों ने इस्लाम की गवाही दी। उनमें से एक हमारा दोस्त था गोरखपुर का रहने वाला यादव घराने का। उसने कहा की जब गौतम साहब उमर साहब हो गए हैं तो मैं भी इस्लाम ले आता हूं इतनी उसको मोहब्बत थी उसका नाम मैंने मोहम्मद उस्मान रखा।"
उमर गौतम आगे कहता है, "इस सेंटर में 1 हज़ार से ज़्यादा लोगों का लीगल डॉक्यूमेंटेशन की फॉरमैलिटी पूरी की गई है एक लड़की सुप्रिया आयशा जो Msc बीएड कानपुर से उसने अपना चेंज ऑफ नेम, चेंज ऑफ रिलीजन का ऐड दिया। कल या परसों तक आप उसको देख सकते हैं क्लासीफाइड कॉलम में ऐसे कितने केसेज हैं। एक छोटी सी खिदमद में हम उलेमा की सरपरस्ती में बुजुर्गों की सरपरस्ती में लगे हुए हैं। इस बात की कोशिश करते हैं ऐसे लोग कि मदद हो जो दीन कबूल करते हैं, दीन में दाखिल होते हैं उनको बाकायदे मॉरल सपोर्ट दिया जाए। लीगल सपोर्ट दिया जाए उनकी जो भी बेहतर से बेहतर रहनुमाई होती है वो की जाए।"
उसने आगे कहा, "आज मैंने 2010 में इस्लामिक दावा सेंटर, ये छोटा से एक ईदारा दिल्ली में जामिया नगर ओखला में, मैंने कायम किया, हज़रत मौलाना की सरपरस्ती में और उसका मकसद ही यही है कि ऐसे लोगों की खिदमत की जाए जो ईमान लाते हैं उसके बाद उनकी तालीम उनकी तरबीयत उनको मोरल सपोर्ट उनको लीगल सपोर्ट और ये बहुत ही अहम। एक मैं समझता हूं कि ड्यूटी है जो हम सबको करना चाहिए, कोशिश करते हैं कि ऐसे लोगों की मदद हो जो दीन कबूल करते हैं दीन में दाखिल होते हैं और उनको बाकायदा मोरल सपोर्ट दिया जाए लीगल सपोर्ट दिया जाए।"
उमर गौतम ने फिर कहा, "मेरे दिल में चौदह पंद्रह साल की उम्र में जज़्बा कुदरती तौर पे अल्लाह के फज़ल से पूरा हुआ कि मैं अपने मालिक को जानने की कोशिश करुं कि किसने मुझे दुनिया में भेजा है और क्यों भेजा है और मरने के बाद क्या होना है। वहां पर 33 करोड़ देवी देवताओं की बात होती थी और मरने के बाद 84 लाख योनियों में आवागमन की बात होती थी पुनर्जन्म की बात होती थी, जो मेरी दूर-दूर तक समझ में नहीं आती थी। ये अल्लाह का फज़्ल है कि मैंने मुझे अल्लाह ने एक हमारे मोहसिन जो हमारे दोस्त थे पड़ोसी थे उन्होंने इंसानियत की बुनियाद पर अखलाक की बुनियाद पर खिदमत की बुनियाद पर इस्लाम को पेश किया और आज भी मैं शुरु से लेकर आज तक अमलन देखता हूं कि इसकी ज़रुरत है सख्त ज़रुरत है।"