Hathras Case: गांव में किसी से दुआ सलाम बंद, तो कोई पहले की तरह कर रहा अच्छा व्यवहार
हरिजन समाज के लोग इस घटना के बाद से थोड़ा हिचकिचा रहे हैं, वहीं अब घर से बाहर निकलते वक्त जिन दूसरे वर्ग के लोगों से बातचीत होती थी, वो अब बंद हो गई है।
बुलगड़ी. हाथरस के बुलगड़ी में हुई घटना के बाद से लोगों में आपसी व्यवहार पर काफी फर्क पड़ा है। वहीं कुछ समाज के लोगों में बातचीत भी बंद हो गई। हाथरस के बुलगड़ी गांव में कुल करीब 500 लोग हैं, इसमें 5 अलग-अलग समाज के लोग शामिल हैं। दरअसल इस गांव में सबसे अधिक ब्राह्मण और ठाकुर समाज के लोग हैं। वहीं कुल 25 लोग हरिजन समाज के लोग हैं। सालों से यहां लोग आपसी भाईचारे से रह रहें है और हर साल खेतों में धान की बुआई और कटाई भी करते आ रहे हैं। गांव में हुई 19 साल की लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद हुई राजनीति के चलते लोगों पर असर पड़ा है। जिसकी वजह से कुछ परिवारों में आपसी दुआ सलाम बंद हो गया है, तो वहीं अभी भी कुछ ऐसे परिवार हैं, जिन्हें इन सबसे कोई फर्क नहीं पड़ा, वो अभी भी अपने खेतों में दूसरे समाज के लोगों को बुलाकर काम दे रहे हैं।
दरअसल हरिजन समाज के लोग इस घटना के बाद से थोड़ा हिचकिचा रहे हैं, वहीं अब घर से बाहर निकलते वक्त जिन दूसरे वर्ग के लोगों से बातचीत होती थी, वो अब बंद हो गई है। गांव में सुबह से रात तक सिर्फ इंसाफ की बात होती है। गांव के निवासी इंद्रपाल की उम्र करीब 75 वर्ष है और वो गांव के उन 25 लोगों में शामिल हैं, जो एक विशेष वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। उनके अनुसार इस घटना के बाद से दूसरे समाज के लोगों से दुआ सलाम बंद हो गया। हालांकि उनका ये भी मानना है कि कुछ लोग अभी भी उसी तरह व्यवहार कर रहें है, जैसे वो पहले करते थे।
गांव के खेतों में धान की कटाई चल रही है। इंद्रपाल उनके बेटे और नाती-नातिन खेतों में ये काम कर रहे हैं, वहीं जिसका खेत है वो एक ऊंचे वर्ग से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन इंद्रपाल ने बताया, "उन्होंने ही हमसे कहा इस घटना में जो होना है वो होता रहेगा, लेकिन तुम आओ काम करो, जीवन यापन करने के लिए समाज नहीं देखा जाता।"
इंद्रपाल ने आरोपी के परिवार के बारे में जिक्र करते हुए बताया कि, "आरोपी के दादा, पिता और भाई ये सब अच्छे लोग हैं। हम पहले भी अन्य समाज के खेतों में काम करते थे और अब भी कर रहे हैं। पेट पालने में जातिवाद होगा तो भूखे मरने की स्थिति आ जायेगी।" दरअसल ये जिस शख्श के खेत में काम कर रहे हैं, वो हैं रामदेव तिवारी जो कि इसी गांव के निवासी हैं और इनकी उम्र करीब 70 वर्ष है। रामदेव ने IANS को बताया, "गांव में इस तरह की घटना हुई, जो कि गलत है, हम कई सालों से सभी साथ रहे हैं और त्योहार भी साथ ही मनाते आ रहे हैं। जो दोषी होगा उसको सजा मिल जाएगी, लेकिन एक घटना की वजह से सालों के व्यवहार तो नहीं छोड़ सकते।
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