ग्रेटर नोएडा: कौन है शाहबेरी का असली गुनहगार, क्या अवैध निर्माण की वजह से हुआ हादसा?
शाहबेरी के जिस जगह पर ये घटना हुई है उस जगह पर एक दो नहीं सैकड़ों की संख्या में पांच मंजिला और छह मंजिला इमारते हैं। स्थानीय लोग कहते हैं ये हादसा प्रशासन और बिल्डरों के भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा उदाहरण है।
नई दिल्ली: दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी गांव में कल रात नौ बजे दो इमारतें भरभराकर कर गिर गईं। पुलिस के मुताबिक एक चार मंजिला निर्माणाधीन बिल्डिंग के ऊपर एक छह मंजिला बिल्डिंग भरभराकर गिर गई। स्थानीय लोगों के मुताबिक बिल्डिंग में 10 परिवार रहते थे। रात भर से एनडीआरएफ की टीम रेस्क्यू में लगी है। तो सवाल है इस हादसे का जिम्मेदार कौन है? अब जांच होगी, पता नहीं कब रिपोर्ट आएगी लेकिन कल हादसे के बाद एक चिट्टी सामने आई है, जिसमें स्थानीय लोग प्रशासन से इलाके में अवैध निर्माण की शिकायत कर चुके हैं। बिल्डरों की दबंगई के बारे में सारी जानकारी दे चुके हैं लेकिन इसके बाद भी प्रशासन सोता रहा। अब हादसे के बाद नींद से जागी है सरकार।
शाहबेरी के जिस जगह पर ये घटना हुई है उस जगह पर एक दो नहीं सैकड़ों की संख्या में पांच मंजिला और छह मंजिला इमारते हैं। स्थानीय लोग कहते हैं ये हादसा प्रशासन और बिल्डरों के भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा उदाहरण है। स्थानीय लोगों की ओर से इस बारे में कुछ दिनों पहले ही स्थानीय प्रशासन को सूचित भी किया गया था।
इस चिट्टी में स्थानीय लोगों ने लिखा है, “गौतम बुद्ध नगर में सभी बिल्डरों द्वारा बिल्डिंग का निर्माण बिना कानूनी अनुमति से किया जा रहा है, जिसकी वजह से यहां के निवासियों को मूलभूत सुविधाएं, जैसे सड़क, नाली, सीवर की सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में शाहबेरी गांव में गंदगी का अंबार लगता जा रहा है। बिल्डरों द्वारा सरकार की ओर से जारी दिशा निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। बिल्डरों द्वारा स्थानीय निवासियों और आरडब्लूए को धमकी दी जाती है कि हमारी मर्जी हम जहां चाहे वहां मैटरियल डालेंगे। बिल्डर कहते हैं हमारी बड़े-बड़े अधिकारियों और नेताओं के साथ उठना-बैठना है।“
इस चिट्टी को पढ़कर समझा जा सकता है कि ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी इलाके में क्या चल रहा है। बिल्डरों की कैसी दबंगई है और प्रशासन का हाथ बिल्डरों के साथ किस हद तक है। इस घटना को समझने के लिए इस इलाके की कहानी को समझना बहुत जरुरी है क्योंकि ये इलाका भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों और बिल्डरों के लिए नोट छापने का कारखाना बन गया है। शाहबेरी की जमीन का अधिग्रहण ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने किया था जिसके विरोध में स्थानीय लोग कोर्ट पहुंच गए थे। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद शाहबेरी का अधिग्रहण रद्द हुआ था और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने इलाके में निर्माण कार्य पर रोक लगा दी थी।
इस रोक के बावजूद यहां बड़ी संख्या में अवैध निर्माण हो रहा है। किसानों से जमीन लेकर कई-कई मंजिला इमारतें बना दी गईं हैं। ऐसे में पहला सवाल यही है जब ग्रेटर नोएडा ने निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है तो रजिस्ट्री कैसे हो रही है। अब हादसे के बाद एक बार फिर प्रशासन की नींद खुलने वाली है। पुलिस पता कर रही है कि आखिर किस बिल्डर का ये प्रोजेक्ट था। इस बिल्डिग में कितने परिवार वाले रहते थे। बिल्डिंग के आसपास का इलाका ऐसा है कि चारों ओर पानी ही पानी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हादसे की एक वजह ये भी हो सकती है लेकिन अब सबकुछ जांच एजेंसियों के हवाले है।
ये चिट्ठी कहती है कि अथॉरिटी से लेकर प्रशासन तक को खबर थी कि यहां अवैध निर्माण का काम धड़ल्ले से चल रहा है लेकिन झांकने तक कोई नहीं आया। अब हादसे के बाद यही अधिकारी जांच करेंगे तो सोचिए इलाके के बाकी लोगों को क्या हासिल होगा। ये सिर्फ एक हादसा नहीं है, कत्ल की पूरी कहानी है। इस हादसे के बाद खरीदारों के दिलों में इतनी दहशत भर गई है कि रात की नींद उड़ गई है।