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मेरठ दंगे का आरोपी गोपी पारिया की हत्या, लोगों ने उपद्रवी बताकर किया गोलियों से छलनी

मेरठ समेत चार राज्यों के शहरों में दंगाईयों के आगे बेबस थी पुलिस। लोगों के गुस्से के साथ नरमी बरत रही पुलिस अब जब अपनी गरमी दिखा रही है तो कानून तोड़ने वालों की एक एक हड्डी कांप रही है।

Gopi Paria, accused in Meerut Violence during Bharat Bandh shot dead- India TV Hindi मेरठ दंगे का आरोपी गोपी पारिया की हत्या, लोगों ने उपद्रवी बताकर किया गोलियों से छलनी

नई दिल्ली: मेरठ दंगे के आरोपियों में से एक गोपी पारिया की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। कल शाम गोपी पर गोलियां बरसा कर उसकी हत्या कर दी गई। गोपी को उपद्रवी बताकर मौत के घाट उतार दिया गया। गोपी बीएसपी का स्थानीय नेता था और उस पर शोभापुर पुलिस चौकी जलाने और 2 अप्रैल को उपद्रव करने का आरोप था। इंडिया टीवी ने इसकी जानकारी फ़ोटो समेत सबसे पहले आप तक पहुंचाई थी और अब ये खबर भी इंडिया टीवी ही आपको सबसे पहले दे रहा कि लोगों ने इसे उपद्रवी बताकर गोलियों से छलनी कर दिया है।

वहीं पुलिस मेरठ के गुनहगारों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने राजनीति को हथियार बनाकर लोगों को भड़काया, दंगे करवाये। 2 अप्रैल को यूपी का मेरठ शहर आंदोलन की आग में जलकर रह गया। करोड़ों की संपत्ति आग में स्वाहा कर दी गई। दंगाईयों ने घरों, दुकानों, गाड़ियों के साथ साथ पुलिस को भी अपने निशाने पर लिया था।

अब इस दंगे की जांच जैसे जैसे आगे बढ़ रही है दंगा फैलाने के गुनहगारों का चेहरा एक एक कर सामने आने लगा है। मामले में राजनीतिक पार्टियों के कई नेताओं के नाम सामने आये हैं और पुलिस उन पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है। पुलिस ने मंगलवार को बीएसपी के कई नेताओं पर हिंसा भड़काने की साजिश रचने की एफआईआर दर्ज की थी और बुधवार को पुलिस ने समाजवादी पार्टी के दो नेताओं, अतुल प्रधान और विपिन मनोठिया की पहचान की है। आरोप है कि दोनों नेताओं के भड़काऊ भाषणों की वजह से लोग हिंसक हुए और मेरठ शहर जल उठा।

मेरठ समेत चार राज्यों के शहरों में दंगाईयों के आगे बेबस थी पुलिस। लोगों के गुस्से के साथ नरमी बरत रही पुलिस अब जब अपनी गरमी दिखा रही है तो कानून तोड़ने वालों की एक एक हड्डी कांप रही है। पुलिस के साथ साथ सरकार भी एक्शन में है लेकिन सवाल फिर भी है कि एक मुद्दे पर इतना बवाल हुआ कैसे और इस सवाल का जबाव शायद शासन से लेकर प्रशासन किसी के पास नहीं है।

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